कानपुर में फर्जी और एक से ज्यादा जमानत लेने वालों का पुलिस तोड़ेगी सिंडिकेट, पुलिसकर्मी भी रडार पर
कानपुर पुलिस आयुक्त ने फर्जी जमानतगीरों के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए एक दिसंबर से अभियान चलाया है। यह सिंडिकेट साइबर अपराध, लूट और हत्या जैसे गंभीर मा ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, कानपुर। साइबर अपराध, लूट, हत्या समेत गंभीर मुकदमों में फर्जी जमानत लेकर उन्हें जेल से बाहर निकलवाने वाले जमानतगीरों का सिंडीकेट जल्द टूट सकता है। पुलिस आयुक्त ने एक दिसंबर से एक अभियान शुरू किया था, जिसमें खासतौर पर दूसरे जिलों से पकड़े गए आरोपितों की जमानत लेने वाले गिरोह के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है।
इसके नोडल अधिकारी एडीसीपी एलआइयू महेश कुमार को बनाया गया है। 29 दिन में 378 केसों में जमानत लेने वाले 578 जमानतगीरों का सत्यापन किया जा चुका है, जिसमें कुछ जमानतगीरों का फर्जीवाड़ा भी सामने आया है। अभियान पूरा होने के बाद मामलों में कार्रवाई की जाएगी।
अपराधियों की जमानत जल्द मिलने की वजह से अपराध बढ़ने की ज्यादा आशंका रहती है। उनके जेल से बाहर आने से लोगों में भय भी व्याप्त होता है, जो पुलिस के सिर का दर्द बनता है।
एक अधिकारी के अनुसार, जेल में बंद अपराधियों की जमानत न होने के लिए पुलिस तो पैरवी पूरी करती है, लेकिन शहर में जमानतगीरों का एक बड़ा सिंडीकेट है, जो अपराधियों की जमानत जालसाजी कर लेने के लिए हर समय खड़ा रहता है।
रुपयों की लालच में एक-एक व्यक्ति कई-कई लोगों की जमानत ले रहा है। यही नहीं कई तो फर्जी नाम-पते के दस्तावेज बनाकर जमानत लेते हैं, लेकिन इसमें बड़ी कमी चौकी और थाना पुलिस की है, जो उन जमानतगीरों का सत्यापन सही से नहीं करती है, जिसका लाभ अपराधियों को मिलता है।
इसको लेकर पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने एक अभियान चलाया है, जिसमें जमानतगीर और उसके दस्तावेजों का सत्यापन कर रही है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय विनोद कुमार सिंह ने बताया कि फर्जी और जो कई-कई बार लोगों की जमानत गलत तरीके से ले रहे हैं।
ऐसे जमानतगीरों के खिलाफ एक दिसंबर से अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 378 मामलों में 588 जमानगीरों का सत्यापन किया जा चुका है। अभियान अभी चल रहा है।
दूसरे राज्यों के जिलों से पकड़े गए साइबर ठग ज्यादा मुसीबत
पुलिस के लिए दूसरे राज्यों के जिलों से पकड़कर लाए गए साइबर ठग ज्यादा मुसीबत बने हुए हैं। जेल भेजने के बाद उन्हें कुछ दिनों में जमानत मिल रही है, जबकि साइबर क्राइम टीम को उनकी गिरफ्तारी करने में महीनों लग जाते हैं।
ऐसे में पुलिस अब ये जांच कर रही है कि दूसरे राज्यों व जिलों से पकड़े गए आरोपितों की जमानत कौन ले रहा है। उसका रिश्ता क्या है और उसने किस आधार पर आरोपित की जमानत की है।

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