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    पुलिसकर्मियों ने धड़ाधड़ चलाई पिस्टल, 50 प्रतिशत से नहीं संभली AK-47; ACP बोले- जारी रहेगी प्रैक्टिस

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Mon, 03 Mar 2025 01:35 PM (IST)

    कानपुर पुलिस ने रविवार को पुलिस लाइन में इंस्पेक्टर सब इंस्पेक्टर और दारोगा के लिए एक हथियार दक्षता परीक्षण आयोजित किया। इस अभ्यास में पुलिसकर्मियों ने ग्लॉक पिस्टल सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल एके 47 और इंसास राइफल का इस्तेमाल किया। परीक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों ने हथियारों को लोड करने निशाना लगाने और फायरिंग करने का अभ्यास किया। अभ्यास का उद्देश्य पुलिसकर्मियों के हथियार चलाने के कौशल का परीक्षण करना था।

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    पुलिसकर्मियों ने धड़ाधड़ चलाई पिस्टल, आधों से नहीं संभली एके-47

    शशांक शेखर भारद्वाज, कानपुर। पुलिस लाइन में रविवार को इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और दारोगा ने धड़ाधड़ गोलियां चलाईं। ग्लाक पिस्टल और सेमी आटोमेटिक पिस्टल को लोड करने, खोलने और निशाना लगाने में 95 प्रतिशत सफल हुए, जबकि एके 47 और इन्सास को 50 प्रतिशत ही संभाल पाए।

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    फायरिंग में एक ही स्थान पर लगातार निशाना लगाने में कई दारोगा और इंस्पेक्टर चूक गए। कमिश्नरेट पुलिस की ओर से करीब पांच महीने बाद इस तरह का अभ्यास और हथियारों की टेस्टिंग कराई गई है। सुबह से दोपहर तक लगभग 250 राउंड फायरिंग हुई। इससे पूर्व सितंबर में पिस्टल और सेमी आटोमेटिक रायफल को चलाने की परीक्षा हो चुकी है।

    कमिश्नरेट पुलिस की ओर से रविवार को लंबी दूरी की एक-47 और इन्सास, छोटी दूरी की ग्लाक व सेमी आटोमेटिक पिस्टल और कार्बाइन को साफ करने, गोलियां भरने, हथियारों को सही तरीके से पकड़ने, सटीक निशाना लगाने और एक ही घेरे के आसपास फायरिंग करने का अभ्यास कराया गया।

    विभाग की ओर से यह तरीका उनके हथियारों के चलाने के कौशल को परखने के साथ ही उन्हें और बेहतर बनाना रहा। इसके लिए लाइन और विभाग के कई विशेषज्ञों को बुलाया गया था। फायरिंग के अभ्यास में पांच इंस्पेक्टर, 30 दारोगा और 50 सिपाहियों को बुलाया गया। उनसे सभी हथियारों को बारी बारी से चलाने और उन्हें लोड करने की जानकारी ली गई। कुछ पुलिसकर्मियों से हथियारों की तकनीक के बारे में भी पूछताछ हुई।

    यह रहा परिणाम

    • 95 प्रतिशत पुलिसकर्मियों ने सही तरीके से संभाला पिस्टल और कार्बाइन को
    • 80 प्रतिशत दारोगा और सिपाही कामयाब हुए निशाना लगाने में पिस्टल से
    • 60 से 70 प्रतिशत ही सफल हुए एक ही घेरे में लगातार फायरिंग करने में
    • 50 प्रतिशत पुलिसकर्मी ही एके 47 और इन्सास को सही तरीके से लोड और फायरिंग कर सके। इसमें निशानेबाजी नहीं देखी गई।

    सिपाहियों का निशाना ज्यादा बेहतर मिला

    सेमी आटोमेटिक श्रेणी के हथियारों को चलाने में इंस्पेक्टर और दारोगा से अधिक बेहतर निशाना सिपाहियों का मिला। इनमें से कई सिपाही वीवीआइपी और वीआइपी की सुरक्षा में लगाए जाते हैं। इनको कार्बाइन के साथ तुरंत एक्शन लेने और निशाना लगाने का अभ्यास कराया।

    एसीपी लाइन,  सुमित सुधाकर रामटेके ने बताया

    पुलिस लाइन में रूटीन में इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाहियों का हथियारों से अभ्यास कराया जाता है। रविवार को हथियारों की असेंबलिंग, कार्टरेज लगाने और फायरिंग कराकर देखा गया। इस तरह से और अभ्यास कराए जाएंगे।

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