Kanpur News: कानपुर में पुलिसिया लूट का पर्दाफाश, टीएसआई समेत छह पर चार्जशीट
कानपुर में पुलिस की वर्दी में लूटपाट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। रावतपुर पुलिस ने टीएसआई समेत छह आरोपितों के खिलाफ 250 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। जांच में पता चला कि गिरोह का सरगना टीएसआई नहीं बल्कि एक होमगार्ड था। गिरोह घरों और होटलों में छापेमारी कर मोटी रकम वसूलता था।

जागरण संवाददाता, कानपुर। पुलिस की वर्दी में घरों व गेस्ट हाउस में छापामार लूटपाट करने वाले गिरोह के निलंबित टीएसआइ समेत छह आरोपितों के खिलाफ रावतपुर पुलिस ने करीब 250 पेज की चार्जशीट लगाई है, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा कैमरे, 25 से ज्यादा गवाह समेत साक्ष्य शामिल किए गए। विवेचक के अनुसार, गिरोह का सरगना टीएसआइ नहीं बल्कि एक होमगार्ड था।
मैनपुरी के एलाऊ मांझगांव निवासी दारोगा अजीत यादव ट्रैफिक पुलिस लाइन में तैनात था। अजीत, औरेया दिबियापुर निवासी पीआरडी जवान वर्षा चौहान, सतबरी रोड निवासी होमगार्ड राजीव दीक्षित, सनिगवां के गायत्री नगर में रहने वाले अरविंद शुक्ल, कानपुर देहात के अकबरपुर अमिलिहा निवासी अनिरुद्ध सिंह, कन्नौज के छिबरामऊ निवासी अनुज कुमार डंपी यादव ने मिलकर एक गिरोह तैयार किया था। ये गिरोह संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लोगों के घरों व होटलों आदि स्थानों पर छापेमारी कर और मोटी रकम वसूलते थे।
गिरोह ने हनुमंत विहार में लूटपाट करने के बाद बाद आठ मई की दोपहर हुंडई एक्सेंट कार से शारदा नगर पहुंचे, जहां पर एक महिला के घर में घुसे थे। सभी वर्दी में थे और खुद को एसटीएफ बताया। उन लोगों ने परिवार पर अनैतिक कार्य करने का आरोप लगा डंडे-लात घूंसों से पीटा, फिर परिवार का वीडियो भी बनाया। इसके बाद जेल भेजने की धमकी देकर 1.40 लाख रुपये नकद व 30 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कराए थे।
मामले में पीड़िता ने शिकायत की तो रावतपुर पुलिस ने 17 मई को मुकदमा दर्ज कर उसी रात अजीत यादव को छोड़ अन्य सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें जेल भेजा गया। जबकि टीएसआइ ने 23 मई को कोर्ट में आत्म समर्पण किया और जेल चला गया। रावतपुर थाना प्रभारी केके मिश्रा ने बताया कि मामले में सभी छह आरोपितों के खिलाफ करीब 250 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो गई है। इसमें 25 से ज्यादा गवाह हैं।
विवेचना में सामने आया कि इस गिरोह का सरगना जेल में बंद सतबरी रोड निवासी होमगार्ड राजीव दीक्षित है। होमगार्ड और टीएसआइ दोनों गिरोह को लीड करते और हर मामलों में आगे रहते थे। टीएसआइ अजीत यादव अपनी कार से भी छापेमारी करने जाता था।
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