UP Road Construction: बारिश ने खोली कानपुर की सड़कों की पोल, गड्ढों से वाहन चालकों को हो रही परेशानी
कानपुर में बारिश के कारण सड़कों की हालत खस्ता हो गई है जिससे वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। लोक निर्माण विभाग गड्ढे भरने का दावा कर रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शासन से पर्याप्त बजट न मिलने के कारण मरम्मत कार्य प्रभावित हो रहा है जिससे हादसों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। बारिश ने सड़कों की हालत बिगाड़ दी है। शहर की मुख्य सड़कों से लेकर मोहल्लों और ग्रामीण इलाकों तक कई जगह सड़कें टूट चुकी हैं। डामर उखड़ गया है और गहरे गड्ढे वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन गए हैं।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के इंजीनियर दावा करते हैं कि गड्ढे भरने का काम लगातार जारी है, लेकिन हालात बताते हैं कि मरम्मत के बाद भी कई स्थानों पर गड्ढे जस के तस मौजूद हैं।
प्रांतीय खंड ने हाल ही में शहर और आसपास के क्षेत्रों की करीब 70 सड़कों को क्षतिग्रस्त मानते हुए शासन को एक करोड़ 85 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में मुख्य मार्गों से लेकर संपर्क मार्गों तक की मरम्मत का प्लान शामिल था।
विभाग को उम्मीद थी कि पूरी राशि मिलने से गड्ढा मुक्त अभियान को तेजी से चलाया जा सकेगा, लेकिन शासन से सिर्फ 38 लाख रुपये ही स्वीकृत हुए। यह राशि पूरे जिले के लिए बेहद कम है। बारिश के कारण गड्ढों से भरी सड़कों पर वाहन चलाना चुनौती बन गया है। फिसलन और पानी से भरे गड्ढों की वजह से आए दिन दोपहिया वाहन चालक फिसलकर गिर रहे हैं।
हादसों का खतरा बढ़ गया है, खासकर रात के समय जब गड्ढे पानी में ढक जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में हालत और भी खराब है, जहां टूटी सड़कों के कारण एंबुलेंस और अन्य वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। कई जगह मरीजों को अस्पताल तक ले जाना मुश्किल हो गया है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि हर साल गड्ढा मुक्त अभियान चलाने के बावजूद सड़कों की हालत में स्थायी सुधार क्यों नहीं हो पाता। बारिश का मौसम खत्म होते ही पीडब्ल्यूडी द्वारा मरम्मत शुरू होती है, लेकिन कुछ महीनों बाद फिर से वही गड्ढे उभर आते हैं। इस बार भी अगर पर्याप्त बजट समय पर नहीं मिला, तो सड़कों की दुर्दशा से निजात पाना मुश्किल होगा।
मुख्य अभियंता रविदत्त कुमार ने बताया कि गड्ढा मुक्त अभियान में बजट की कमी नहीं हैं। मरम्मत के लिए जो बजट है, उससे उन सड़कों की मरम्मत प्राथकिता से कराई जा रही है जहां यातायात का दबाव सबसे ज्यादा है। इसके बाद ही अन्य मार्गों पर काम हो रहा है।
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