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    Kanpur News: विपश्यना साधना कर ब्रह्मांड की ऊर्जा से जुड़े रामनाथ कोविन्द, जानें इसका महत्व

    By atul mishra Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Tue, 12 Aug 2025 07:02 PM (IST)

    पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट स्थित धम्म कल्याण केंद्र का दौरा किया। उन्होंने विपश्यना साधना की और केंद्र के शिविरों की जानकारी ली। कोविन्द ने कहा कि ध्यान केंद्र जीवन का मर्म सिखा रहा है। ट्रस्टी अशोक साहू ने बताया कि केंद्र में म्यांमार की कला है और गोल्डन स्तूप आध्यात्मिक ऊर्जा देता है। उन्होंने पहले भी 2014 में यहां साधना की थी।

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    विपश्यना साधना केंद्र में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द।

    संवाद सहयोगी, जागरण , महाराजपुर(कानपुर)। महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट में गंगा किनारे स्थित अंतरराष्ट्रीय धम्म कल्याण केंद्र में मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द पहुंचे। लगभग ढाई घंटे यहां रुके। एक घंटे की उन्होंने विपश्यना साधना की। केंद्र के आचार्य एम एल शंखवार से साधकों के लिए सथचालित शिविरों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि ध्यान केंद्र लोगों को विपश्यना साधना के द्वारा जीवन का मर्म बता रहा है। केंद्र प्रमुख अशोक साहू का आभार जताया।

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    पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द मंगलवार सुबह लगभग दस बजे ड्योढ़ीघाट स्थित केंद्र पहुंचे। केंद्र के ट्रस्टी अशोक साहू ने बुके देकर व अंगवस्त्र डालकर उनका स्वागत किया। पूर्व राष्ट्रपति ने केंद्र में संचालित साधना शिविरों व अन्य गतिविधियों की जानकारी ली।केंद्र के आचार्य एम एल शंखवार से साधना की बारीकियों को समझा। इसके बाद वो लगभग एक घंटे तक साधना कक्ष में रहकर विपश्यना साधना करते रहे। साधना से बाहर आने के बाद साधकों व केंद्र से जुड़े सभी लोगों से मुलाकात की। जलपान करने के बाद लगभग साढ़े बारह बजे वो सर्किट हाउस के लिए निकल गए। उनके साथ स्वामीनारायण ट्रस्ट से जुड़े लोग भी थे। अवधेश साहू, सुखदेव शुक्ला, ऋषभ पाठक, विनोद, आदित्य रहे।

    म्यांमार से भारत आई विपश्यना साधना

    ट्रस्टी अशोक साहू ने बताया कि लगभग 50 साल पहले विपश्यना साधना म्यांमार से देश में आई थी। केंद्र में म्यामार देश की कला व संस्कृति को आत्मसात किया गया है। केंद्र में बना गोल्डन स्तूप अंतरिक्ष से ऊर्जा खींचकर साधकों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसी स्तूप के नीचे साधक छोटे - छोटे कमरों में बैठकर साधना करते हैं। भगवान बुद्ध के पंचशील को आत्मसात कर मन को वश में करने की साधना विपश्यना है। बाहरी दुनिया से साधक का संपर्क पूरी तरह बंद कर दिया जाता है।

    2014 में एक दिन की कर चुके हैं साधना

    केंद्र प्रमुख अशोक साहू ने बताया कि 2014 में राम नाथ कोविन्द ड्योढ़ीघाट आए थे। केंद्र में उन्होंने एक दिन की साधना की थी।2019 में भी वो राष्ट्रपति होने के दौरान पुरुष साधकों के लिए नवनिर्मित ब्लाक का उद्घाटन करने आए थे।