Kanpur News: अखिलेश दुबे के मददगारों की तलाश, केडीए और नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों चिह्नित
Akhilesh Dubey केडीए और नगर निगम में अखिलेश के मददगारों की तलाश शुरू कर दी गई है। पुलिस ने छह से ज्यादा संदिग्ध अधिकारी व कर्मचारियों को चिह्नित किया है। अखिलेश से रिमांड के दौरान पूछताछ के बाद गिरफ्तारी का फैसला होगा। सूत्रों का दावा अंदरखाने चल रही जांच में कई फाइलें गायब मिलीं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। अखिलेश दुबे का रौब केवल पुलिस में ही नहीं चलता था, बल्कि कानपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम में भी उसके मददगार थे। अधिकारियों पर दबाव डालकर नियम विरुद्ध आवंटन से लेकर विरोधियों को नोटिस देकर उन्हें परेशान करने का काम ये लाबी करती थी। अब तक हुई जांच में पुलिस ने छह से अधिक ऐसे अधिकारी व कर्मचारी चिह्नित किए हैं, जो अखिलेश के नाम पर कुछ भी करने को तैयार थे।
सूत्रों का दावा है कि मामला तूल पकड़ने के बाद से विशेषकर केडीए में जांच शुरू हुई तो कई विवादित संपत्तियों की फाइलें गायब मिलीं हैं। अधिकारी इन फाइलों का तलाश करवा रहे हैं ताकि शासन से पूछताछ होने पर अपना दामन बचाया जा सके।
अखिलेश के साम्राज्य को लेकर यही चर्चा है कि उसके गिरोह में पुलिसकर्मियों की एक लंबी फेहरिस्त शामिल है। अब तक चार से पांच एसीपी, 10 से 12 इंस्पेक्टर व दारोगा और 10 से ज्यादा सिपाही चिह्नित किए जा चुके हैं। यह सभी कानून को ताक पर रखकर केवल वह काम करते थे, जो अखिलेश चाहता था।
इस संबंध में पुलिस आयुक्त के आदेश पर विभागीय जांच चल रही है और विभागीय जांच चलने तक इनके नाम सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं। अखिलेश के मददगारों में आइपीएस व पीपीएस स्तर के अधिकारी भी हैं, मगर अभी उन पर हाथ डालने की कोई योजना नजर नहीं आ रही है। मगर, नया पर्दाफाश यह हुआ है कि इसकी टीम में केडीए से भी करीब 10 लोग शामिल हैं।
वहीं, नगर निगम में भी तीन से चार लोग शामिल हैं। पुलिस ने शनिवार को किदवई नगर में जो मुकदमा दर्ज किया है, उसमें अधिवक्ता पंकज दीक्षित को आरोपित बनाया है। पंकज मुख्य रूप से केडीए के मामलों में ही वकालत करता था और जो काम विभाग स्तर से नहीं होता था, उसे अदालत के रास्ते कराने में मदद करता था। पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने बताया कि अब तक हुई जांच में केडीए के कुछ कर्मी चिह्नित हुए हैं, जिन पर अखिलेश के लिए काम करने का आरोप है। ऐसे लोगों को लेकर पुलिस मोबाइल फोन व अन्य माध्यमों से इलेक्ट्रानिक साक्ष्य एकत्र कर रही है।
जल्द ही अखिलेश को रिमांड पर लिया जाएगा, जिसके बाद इन कर्मियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा। दूसरी ओर केडीए के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश से जुड़ी तमाम फाइलें नहीं मिल रही हैं। ऐसी फाइलों की संख्या 50 से ज्यादा है। दूसरी ओर जिस तरह से नगर निगम अखिलेश द्वारा किए गए अतिक्रमण पर आंख मूंदे है, उससे यहां भी सरकारी तंत्र के मिलीभगत की पूरी संभावना है।
केडीए ने 10 आवंटियों को थमाए नोटिस, मांगीं रजिस्ट्री
अखिलेश के खिलाफ चल रही जांच के बीच माहौल भांपकर केडीए ने भी कार्रवाई तेज कर दी है। किदवई नगर में विवादित किशोरी वाटिका के करीब ही प्लाट नंबर 558 है, जिसमें 10 भूखंड विभिन्न लोगों को बेचे गए हैं। यह भूखंड अखिलेश एंड कंपनी ने ही बेचे हैं। दावा है कि यह सरकारी भूमि है, जिसे मिलीभगत करके बेचा गया।
केडीए के सचिव अभय पांडेय ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है, जिसके बाद इन आवंटियों को 19 जुलाई को नोटिस जारी करते हुए 30 जुलाई तक रजिस्ट्री दिखाने के लिए कहा गया था। तय समय सीमा में किसी भी आवंटी ने अपने प्रपत्र नहीं दिखाए हैं। उन्होंने बताया कि अखिलेश की गिरफ्तारी के वह एडीएम सिटी के साथ मौके पर गए और यहां रहने वालों से मिले, मगर उस वक्त भी उनके द्वारा कोई प्रपत्र नहीं दिखाए गए हैं। केडीए सचिव के मुताबिक यह सभी आवंटन 20 से 25 साल पुराने हैं, इसलिए विभाग में भी इनकी फाइलें नहीं मिल रही हैं।
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