ऐसे चलता था कानपुर के अखिलेश दुबे का साम्राज्य, मदद के लिए 50 पुलिसवाले गिरोह में, करोड़ों की संपत्ति
उत्तर प्रदेश के कानपुर के भूमाफिया और अधिवक्ता अखिलेश दुबे का साम्राज्य में न सिर्फ वकील थे, बल्कि बदमाश, पत्रकारों के साथ पुलिस भी उसके गुनाहों में बराबर की हिस्सेदारी थी। 50 से ज्यादा पुलिस वाले उसके गिरोह में शामिल होकर उसके मददगार थे। इसमें एक कानपुर के सीओ ऋषिकांत शुक्ल को निलंबित कर दिया गया है। उनके पास सौ करोड़ की बेनामी संपत्ति मिली है।

कानपुर का भूमाफिया और अधिवक्ता अखिलेश दुबे।
जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर जेल (Kanpur Jail) में बंद चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे (Akhilesh Dubey) के मददगारों की फेहरिस्त में सीओ ऋषिकांत शुक्ल (Rishikant Shukla) अकेले नहीं है। अखिलेश ने अपने आसपास खाकी का ऐसा जाल बुना था कि शिकार कितना भी हाथ पांव मारे फंस ही जाता था। वसूली के धंधे में जब कोई चाल कामयाबी नहीं होती थी, तब यही पुलिस वाले कानून का डंडा दिखाकर उन्हें दरबार के आगे झुकने को मजबूर करते थे। फिलहाल सीओ ऋषिकांत शुक्ल को मिलाकर दस पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें चिन्हित करके सीधी जांच की जा रही है, जबकि सूत्रों के मुताबिक गिरोह में करीब 50 पुलिस वाले जुड़े हुए थे।
विजिलेंस जांच के लिए जो पत्र जारी हुआ है, उसमें एसआइटी की जांच के आधार पर दावा किया गया है कि शहर में अधिवक्ताओं का एक गिरोह चल रहा है, जो लोगों को को फर्जी मुकदमे में फंसाने को कार्य करता है। अखिलेश दुबे इस गिरोह को सुनियोजित तरीके से संचालित करता है। गिरोह का काम फर्जी मुकदमे दर्ज कराना, जबरन वसूली, जमीन कब्जेदारी आदि है।
केडीए (KDA) और अन्य विभागों में भी मददगार
आरोप यह भी है कि अखिलेश दुबे पुलिस, केडीए व अन्य विभागों से गठजोड़ बनाकर कार्य करता है। पूर्व पुलिस आयुक्त अखिल कुमार के निर्देश पर अखिलेश गिरोह में शामिल तीन सीओ ऋषिकांत शुक्ल, विकास पांडेय और संतोष कुमार सिंह को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया गया था। इसके अलावा इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्र को इसी मामले में निलंबित करके पहले ही जेल भेजा चुका है। सभाजीत पर सिविल लाइन स्थित आगमन गेस्ट हाउस मामले में कार्रवाई हुई है।
चार इंस्पेक्टर और दो दरोगा निलंबित हो चुके
आरोप है कि अखिलेश का कब्जा बने, इसलिए सभाजीत ने यहां रहने वालों को डरा धमका कर भगाने में मदद की। इसके अलावा अखिलेश दुबे और उसके गिरोह के कारनामों में सांठ-गांठ कर लाभ पहुंचाने वाले चार इंस्पेक्टर और दो दारोगा भी निलंबित किए जा चुके हैं। तत्कालीन पुलिस आयुक्त के आदेश पर इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह, आशीष द्विवेदी, अमान सिंह, नीरज ओझा के साथ ही दारोगा सनोज पटेल और आदेश यादव को निलंबित किया जा चुका है।
इन आरोपों में हुए निलंबित
- इंस्पेक्टर मानवेन्द्र सिंह: तत्कालीन पनकी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मानवेन्द्र सिंह नियुक्ति के दौरान क्षेत्र में भूमि विवाद में शिकायतकर्ताओं के प्रार्थना पत्र पर कोई कार्रवाई न करने, अखिलेश दुबे व उसके सहयोगियों से सांठगांठ कर लाभ पहुंचाने, तथ्यों को छिपाने और उच्चाधिकारियों को अवगत न कराने में भूमिका संदिग्ध।
 - इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी: थाना नवाबगंज और थाना फजलगंज के प्रभारी पद पर नियुक्ति के दौरान भूमाफिया और अखिलेश दुबे व उसके गैंग से सांठगांठ होने के साथ अखिलेश दुबे गैंग के अपराधों में इनकी भूमिका व संलिप्तता से संबंधित तथ्य प्रकाश में आए। जनशिकायत प्रकोष्ठ में रहते हुए अखिलेश से जुड़ी शिकायतों को उच्चाधकारियों तक नहीं पहुंचने देते थे और समझौते का दबाव बनाते।
 - इंस्पेक्टर अमान: थाना ग्वालटोली में तैनाती के दौरान अमान ने अखिलेश दुबे गैंग के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए लवी मिश्रा, लकी मिश्रा, सौरभ द्विवेदी, प्रशांत व दो-तीन अज्ञात के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आरोपितों को लाभ पहुंचाया। उच्चाधिकारियों को संज्ञान में लिए बिना जमानत कमेंट कोर्ट में प्रेषित किया।
 - इंस्पेक्टर नीरज ओझा: तत्कालीन बर्रा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नीरज ओझा ने अखिलेश दुबे से सांठ-गाठ होने और पीड़ित रवि सतीजा के ऊपर दुष्कर्म का आराेप लगाने वाली महिला को इनकी पुत्रवधु बताए जाने के लिए झूठे तथ्य प्रस्तुत किए थे।
 - उपनिरीक्षक सनोज पटेल: थाना ग्वालटोली में तैनाती के दौरान सनोज पटेल ने अखिलेश दुबे गैंग के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए लवी मिश्रा, लकी मिश्रा, सौरभ द्विवेदी, प्रशांत व दो-तीन अज्ञात के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आरोपितों को लाभ पहुंचाया। उच्चाधिकारियों को संज्ञान में लिए बिना जमानत कमेंट कोर्ट में प्रेषित किया।
 - उपनिरीक्षक आदेश यादव: नौबस्ता थाने के आवास विकास चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक आदेश यादव को चौकी क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा गलत काम कराने, जनता व पुलिस चौकी स्टाफ से बहुत खराब व्यवहार करने और पुलिस विभाग की छवि धूमिल करने का आरोप।
 
केडीए के मददगार अब तक सुरक्षित
पुलिस के साथ-साथ एसआइटी ने केडीए के भी कर्मचारियों को चिन्हित किया था, जो अखिलेश दुबे के मददगार हैं। मगर अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होना चौकाने वाला है। पुलिस ने केडीए वीसी के पीए कश्यपकांत दुबे और पूर्व केडीए वीसी के पीए रह चुके महेंद्र सोलंकी को कुछ बिंदुओं पर बयान दर्ज करने के लिए नोटिस भेजा था।

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