Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तरकाशी में तबाही पर IIT Kanpur के प्रोफेसर ने किया अध्ययन, बादल फटना नहीं इसे बताया हादसे की वजह

    By vivek mishra Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Sat, 16 Aug 2025 08:05 PM (IST)

    आइआइटी कानपुर के अर्थ साइंसेज विभाग के प्रोफेसर जावेद मलिक ने उत्तराकाशी के धराली में आई तबाही की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि धराली जैसे क्षेत्रों में जमीनों का अध्ययन कराकर हादसे की कम की संभावना की जा सकती है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि इसका अध्ययन कराए।

    Hero Image
    आइआइटी के अर्थ साइंस विभाग के प्रोफेसर जावेद एन मलिक।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। उत्तरकाशी के धराली गांव में पांच अगस्त की दोपहर बादल फटने से मची तबाही से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। धराली गांव में रेस्क्यू आपरेशन लगातार जारी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आइआइटी, कानपुर के अर्थ साइंस विभाग में प्रोफेसर जावेद एन मलिक वहां ये परिस्थितियां क्यों और कैसे बनीं, इसकी समीक्षा करने में जुटे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वो बताते हैं कि मौसम विभाग की वर्षा के स्तर की रिपोर्ट में धराली गांव में अधिक वर्षा न होना पाया गया है। वहां की जमीन का अध्ययन किया तो पाया गया कि वहां पर लोगों की बसाहट का बढ़ना जोखिम भरा हो सकता है। क्योंकि ये क्षेत्र ऐसे होते हैं जहां पर कभी भी और ऊपर कहीं से भी पानी तेज बहाव के साथ आ सकता है। सरकार धराली जैसे क्षेत्रों में जमीनों का अध्ययन कराए ताकि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाकर हादसे की संभावना को कम करने में मदद मिल सके।

    उन्होंने बताया कि बादल फटने जैसी परिस्थितियां बनने का अनुमान लगाना मुश्किल रहता है लेकिन ये तय है कि पहले भी ऐसा हुआ होगा और आगे भी ऐसा होना संभव है। अगर सरकार इसका अध्ययन कराए तो विस्तृत जानकारी पता चल सकेगी। हिमालयन ड्रेन में बहुत सारी जगह हैं जहां पर भूस्खलन होने पर नैचुरल डैम्स और झील बन जाते हैं। इसमें ब्रीच होने से इस तरह के हादसे होते हैं।

    यह भी पढ़ें- इंटरसिटी एक्सप्रेस बनी सहारा... हमीरपुर में जब हादसे के बाद तीन किमी रिवर्स दौड़ी ट्रेन

    बताया, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़ आती रहती है। जमीन को देखकर इसे समझा जा सकता है। यहां जमा गाद जिसे डिपोजिट कहते हैं, से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि सैलाब की आने की स्थिति में क्या मंजर हो सकता है। धराली में ऊपर की तरफ बर्फ की चोटियां हैं। भगीरथी नदी में कई छोटी सहायक नदियां भी आकर मिलती हैं।

    यह भी पढ़ें- अद्भुत... 23 वर्षों से यूपी के इस थाने में कैद हैं श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की मूर्ति, जन्माष्टमी पर मिलती एक दिन की रिहाई

    तकनीकी शब्द में कहें तो ग्लेशियर लेक आउट बर्स्ट फ्लड यानी ग्लेशियर झील फटने से आई बाढ़ ने तबाही मचा दी। धराली जैसे क्षेत्रों की जमीनों का अध्ययन कराकर सरकार को प्रस्ताव दिया जा सकता है कि लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में बसाकर हादसों की संभावना को कम किया जा सकता है।