Kanpur Fire Incident: आग ने बुंदेलखंड सहित 25 जनपदों की तोड़ी सप्लाई चेन, उबरने में लगेगा वक्त
उत्तर प्रदेश में कानपुर के कलेक्टरगंज गल्ला मंडी में आग लगने से थोक व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। किराना मसाले और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति बाधित ह ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। कलक्टरगंज की गल्ला मंडी में आग ने ऐसी तबाही मचाई है, कि उबरने में एक से दो माह का वक्त लग जाएगा। इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान थोक व्यापारियों का हुआ है। गल्ला मंडी से आस-पास के जनपदों में किराना, मूमफली, प्लास्टिक का सामान, सौंफ, मसालों की सप्लाई होती थी।
सौ से ज्यादा थोक व्यापारियों का सामान जलने से पूरे बुंदेलखंड सहित आस-पास के जनपदों की सप्लाई चेन टूट गई है, इसका असर महंगाई के रूप में बाजार में आने वाले दिनों में दिखाई पड़ेगा।
गल्ला मंडी की दुकानों से प्रतिदिन पांच करोड़ रुपये का अनुमानित व्यापार होता है। इनमें जिन दुकानों में आग लगी हैं, वहां से 50 से 60 लाख रुपये का व्यापार हो रहा था। मंगलवार दोपहर लगी आग से दुकानों,गोदामों के साथ ही ट्रांसपोर्टरों का सामान जलकर राख हो गया।

कलक्टरगंज गल्ला मंडी में मंगलवार को आग लगने की घटना में जला दुकान का सामान। जागरण
इन ट्रांसपोर्टरों के यहां आस-पास के जनपदों के व्यापारियों का माल रखा रहा था। आग की जद में कलक्टरगंज स्थित किराना सामान के ट्रांसपोर्टर बालाजी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इके साथ ही लखदार, मां विंध्यवासिनी, संकटमोचन, जनता, कपिल, नवनीत ट्रांसपोर्टरों के गोदाम में रखा सामान जला है। वहीं कुछ ट्रांसपोर्टर आग लगने के बाद अपना कुछ सामान बचाने में भी सफल रहे।
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अफरा-तफरी के दौरान मजदूर करते रहे काम
आग के दौरान करीब चार घंटे तक दुकानों का खाली करने के लिए ट्रांसपोर्टरों के मजदूर जुटे रहे। इस दौरान जिन दुकानों में आग नहीं पहुंची थी, वहां पर भी लोग अपने माल को बचाने के लिए दूसरे की दुकानों में शिफ्ट करते रहे।

कलक्टरगंज गल्ला मंडी में मंगलवार को आग लगने की घटना में जले वाहन। जागरण
कुछ दुकानों के मालिक माल बचाने के लिए खुद मजदूर बन गए। इस दौरान व्यापारियों के चेहरे पर आग की दहशत दिखाई दी, लेकिन आखिरी दम तक व्यापारी और ट्रांसपोर्टर माल को बचाने का प्रयास करते रहे।
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मजदूर नहीं मिले तो रुपयों का बाक्स लेकर बाहर निकले
आग की दहशत ऐसी थी कि बाजार के अंदर मजदूर भी जाने को नहीं तैयार थे। व्यापारी मजदूरों को बुलाने के लिए दोगुणा से चार गुणा रुपये देने के लिए तैयार थे, लेकिन आग के दौरान कोई दुकान में घुसने को तैयार नहीं हो रहा था। इस दौरान कुछ व्यापारी अपनी दुकान से रुपयों के रखने वाले बाक्स को लेकर ही बाहर निकल आए।

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