नकली टिकट बिक्री के मामले में तीन मृतक अधिवक्ताओं पर रिपोर्ट दर्ज, दैनिक जागरण ने किया था पर्दाफाश
कानपुर में नकली टिकट बेचने के आरोप में 12 नोटरी अधिवक्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है जिसमें तीन मृतक अधिवक्ता भी शामिल हैं। दैनिक जागरण ने पहले इस मामले का पर्दाफाश किया था जिसके बाद जांच कमेटी ने 423 नकली टिकटों का पता लगाया। अधिवक्ताओं का पक्ष शामिल न होने पर दोबारा जांच हुई।

जागरण संवाददाता, कानपुर। नकली टिकट बिक्री में तीन मृतक अधिवक्ताओं पर रिपोर्ट दर्ज कर दी गई है। रविवार रात नकली टिकट बिक्री करने वाले 12 नोटरी अधिवक्ताओं पर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज हुई है। इनमें तीन मृतक अधिवक्ताओं के नाम हैं।
दैनिक जागरण ने एक अगस्त 2023 को कचहरी में नकली टिकट बिक्री की पर्दाफाश किया था। बताया था कि कलर फोटोकॉपी से नकली नोटरी टिकट तैयार किए जा रहे हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी विशाख जी दो अगस्त 2023 को एसीएम प्रथम, कोषाधिकारी और सब रजिस्ट्रार प्रथम की तीन सदस्यीय कमेटी जांच के लिए बनाई थी।
जांच कमेटी ने 955 शपथपत्रों (योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन के साथ लगाए गए) इकट्ठा किए थे। इनमें नोटरी टिकट का इस्तेमाल किया गया था। जांच में पाया गया कि 955 में 423 नकली टिकट का प्रयोग किया गया है।
इसके बाद कमेटी ने नोटरी अधिवक्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की संस्तुति की थी। इसमें अधिवक्ताओं का पक्ष शामिल नहीं किया गया था, इसलिए तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश सिंह ने दोबारा जांच कराते हुए उनका पक्ष लेने के लिए कहा था।
दोबारा जांच के बात तत्कालीन एडीएम आपूर्ति राजेश कुमार ने मुख्य कोषाधिकारी को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कहा था। इसके बाद रविवार रात नोटरी अधिवक्ता अवधेश तिवारी, केके निगम, शिवभोली दुबे, प्रकाश चंद्र, एसके मिश्रा, कुंदन राजा, लक्ष्मीकांत मिश्रा, पूनम सिंह, एलआर नारायण, एमएन श्रीवास्वत, पंकज अग्रवाल और पीके चतुर्वेदी पर रिपोर्ट दर्ज की गई।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष इंदीवर बाजपेई और अधिवक्ता वसीम अख्तर ने बताया कि नोटरी अधिवक्ता कुंदन राजा, शिवभोली दुबे और पीके चतुर्वेदी का निधन हो चुका है। इनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज हो गई है।
तो फिर कौन कर रहा था नोटरी
कुछ अधिवक्ताओं ने बताया कि नोटरी अधिवक्ता कुंदन राजा का निधन करीब तीन साल पहले हो गया था। जांच कमेटी ने उनके द्वारा तैयार कराए गए शपथपत्रों पर नकली टिकट लगे होने के आधार पर उनका नाम जांच में शामिल किया था। अब सवाल है कि अगर अधिवक्ता कुंदन राजा का निधन तीन साल पहले हो गया था तो उनके नाम से फर्जी तरीके से नोटरी कौन कर रहा था।
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