कानपुर में रंगदारी में अखिलेश, पप्पू स्मार्ट समेत 4 के खिलाफ चार्जशीट का कोर्ट ने लिया संज्ञान, सभी 18 नवंबर को तलब
रंगदारी के एक मामले में अखिलेश, पप्पू स्मार्ट समेत चार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। अदालत ने सभी आरोपियों को 18 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया है। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है और आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द पेश होने का आदेश दिया है।

कानपुर का भूमाफिया व वकील अखिलेश दुबे।
जागरण संवाददाता, कानपुर। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट ने कोतवाली में अधिवक्ता द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में अधिवक्ता अखिलेश दुबे, पप्पू स्मार्ट समेत चार आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट का संज्ञान ले लिया है। सभी को 18 नवंबर को कोर्ट में तलब किया गया है। इसके बाद मुकदमे को सुनवाई के लिए सेशन कोर्ट भेज दिया जाएगा।
कोतवाली में अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि उन्होंने राजा ययाति के किले और लोक निर्माण विभाग की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले हिस्ट्रीशीटर पप्पू स्मार्ट के गिरोह के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था इससे रंजिश मानकर गिरोह के लोगों ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर उन्हें पाक्सो एक्ट के दो झूठे मुकदमों में फंसा दिया।
मुकदमे खत्म कराने के लिए 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। बाकी बातें अखिलेश दुबे और पप्पू स्मार्ट से करने को कहा गया। आरोप झूठे पाए जाने पर मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लग गई तो अखिलेश ने व्हाट्सएप काल करके कार्यालय बुलाया और एफआर का प्रोटेस्ट दाखिल करने की धमकी देते हुए 10 लाख रुपये रंगदारी मांगी।
उन्होंने पीड़िताओं को 50-50 हजार रुपये दिए। इसके बाद भी अखिलेश बराबर रुपयों की मांग करता रहा। इस मुकदमे की विवेचना के बाद पुलिस ने अखिलेश दुबे, मो. आसिम उर्फ पप्पू स्मार्ट, रामेंद्र कुमार गुप्ता उर्फ गुड्डू और अमिता यादव के खिलाफ रंगदारी वसूलने, गाली-गलौज, जान माल की धमकी देने, षड्यंत्र करने, झूठे सबूत गढ़ने, झूठे आरोप लगाने से संबंधित धाराओं में चार्जशीट कोर्ट भेजी थी। कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान ले लिया है।
ऐसा है अखिलेश दुबे का गैंग
उत्तर प्रदेश के कानपुर के भूमाफिया और अधिवक्ता अखिलेश दुबे का साम्राज्य में न सिर्फ वकील थे, बल्कि बदमाश, पत्रकारों के साथ पुलिस भी शामिल हैं। 50 से ज्यादा पुलिस वाले उसके गिरोह में शामिल होकर उसके मददगार थे। इसमें से एक हालही में कानपुर के सीओ ऋषिकांत शुक्ल को निलंबित कर दिया गया है। उनके पास सौ करोड़ की बेनामी संपत्ति मिली है। वहीं, अब केडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी गाज गिरनी तय है।

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