कानपुर सीएसजेएमयू में हिंदी का नया पाठयक्रम लागू, इन तीन साहित्यकारों को किया शामिल
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) में हिंदी का नया पाठ्यक्रम लागू किया गया है। अब गिरिराज किशोर गणेश शंकर विद्यार्थी और डा. सुमन राजे को सीएसजेएमयू के विद्यार्थी पढ़ेंगे। एनईपी लागू होने के बाद पाठ्यक्रम से तीनों साहित्यकार हटा दिए गए थे। पाठ्यक्रम में कानपुर के तीनों साहित्यकारों की कृतियों को स्थान दिया गया है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर (CSJMU Kanpur) में अब हिंदी साहित्यकार गिरिराज किशोर, गणेश शंकर विद्यार्थी और सुमन राजे की रचनाओं को पढ़ाया जाएगा। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विश्वविद्यालय ने चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया है। इसमें कानपुर के तीनों साहित्यकारों की कृतियों को स्थान दिया गया है।
गणेश शंकर विद्यार्थी की संस्मरण कृति जेल जीवन की झलक को परास्नातक पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। नए पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद से पारित होने के बाद राज्यपाल ने भी अपनी अनुशंसा दी है, जिसके बाद इसे लागू कर दिया गया है।
सीएसजेएमयू की हिंदी पाठ्यक्रम समिति तथा शोध विकास समिति की संयोजक एवं एएनडी कालेज की प्राचार्य डा. ऋतम्भरा ने बताया कि चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में दो साहित्यकारों गिरिराज किशोर और डा. सुमन राजे को शामिल किया गया है। गिरिराज किशोर की कस्तूरबा गांधी पर लिखे उपन्यास 'बा' और डा. सुमन राजे की कृति वसुधंरा : एक काव्यनाटिका को स्नातक स्तर पर और गणेश शंकर विद्यार्थी की कृति जेल जीवन की झलक को परास्नातक में पढ़ाया जाएगा।
विश्वविद्यालय की पाठयक्रम समिति एवं विद्या परिषद (बोर्ड आफ स्टडीज के सदस्य प्रो. राकेश शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय के हिंदी पाठ्यक्रम को 2019 में इन साहित्यकारों की रचनाओं को शामिल किया गया था लेकिन एनईपी लागू होने के बाद पाठ्यक्रम बदल गया। आधुनिक हिंदी साहित्य की वैचारिक पृष्ठभूमि, गांधीवादी दर्शन, अंबेडकर विचार दर्शन, लोहिया दर्शन के साथ पं. दीनदयाल उपाध्धाय के विचार दर्शन को भी शामिल किया गया है।
पाठयक्रम समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य डा. राजेश तिवारी ने बताया कि इस पाठ्यकत में कुछ नए प्रश्नपत्र जोड़े गए हैं, जिसमें 'शोधात्मक लेखन, 'समान भाषा विज्ञान' तथा हिंदी रंगमंच शामिल है। सदस्य डा. इंदू यादव के अनुसार नए पाठ्यक्रम को रोजगारोन्मुखी बनाया गया है। इसमें 'कार्यालयी हिंदी और कंप्यूटर, 'समाचार : लेखन और प्रसारण' तथा 'भाषा प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया है। डीएवी के डा. यतीन्द्र सिंह कहते हैं कि इससे हिंदी का राष्ट्रीय काव्य, लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति तथा अस्मिता मूलक विमर्श को समग्रता में समझने का अवसर मिलेगा।
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