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    आतिशबाजी से कानपुर की हवा जहरीली: सांस लेने में तकलीफ, शहर के यह सबसे ज्यादा प्रदूषित

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:09 PM (IST)

    कानपुर में दिवाली की रात आतिशबाजी के कारण हवा में जहरीली गैसों का स्तर बढ़ गया। शहर के कई हिस्सों में सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें आई हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स 250 पार हो गया है।

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    जागरण संवाददाता,कानपुर। दीपों के त्योहार के बाद शहर धुंध और धुएं की चादर में लिपटा नजर आ रहा है। दीपावली बीतते ही शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 254 दर्ज किया गया, जो आरेंज जोन में है। यानी त्योहार की रोशनी के साथ-साथ हवा में छाई धूल, धुआं और पटाखों का असर अब शहर की सांसों पर पड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दीपावली से पहले जहां एक्यूआइ 206 तक पहुंचा था, वहीं अब यह बढ़कर 254 हो गया है। त्योहार के बाद हवा और अधिक दूषित हो गई, जिसको लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है।

    प्रदूषण मापन के लिए शहर के तीन प्रमुख निगरानी केंद्र एफटीआई किदवई नगर में 275, एनएसआइ कल्याणपुर में 262 और नेहरू नगर में 226 का वायु गुणवत्ता का स्तर बुधवार को शाम सात बजे तक दर्ज किया गया, जो खराब स्तर है। आतिशबाजी से निकले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 और पीएम 10 अब हवा में घुलकर उसे खतरनाक बना रहे हैं। ये कण फेफड़ों के अंदर तक जाकर सांस की नलियों को प्रभावित करते हैं।

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    अक्टूबर की शुरुआत में शहर की हवा सामान्य थी। एक अक्टूबर को सूचकांक 41 था, लेकिन 10 अक्टूबर के बाद लगातार गिरावट आई। 18 अक्टूबर को 206, 21 को 229 और अब 22 अक्टूबर को यह 254 दर्ज हुआ है, जो और भी खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है। वहीं नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव और सफाई अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि जमीनी स्तर पर हालात में बहुत ज्यादा सुधार नहीं है। खुले में कचरा जलाने और निर्माण स्थलों पर ग्रीन चादर से ढकने को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं।

    डाक्टर बोले बरतें सावधानी

    मुरारीलाल चेस्ट चिकित्सालय के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. अवधेश कुमार ने बताया कि हवा में धूल और धुएं के गण बढ़ने के साथ सांस लेने से सांस फूलना, आंखों में जलन, गले में खराश और खांसी जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या अस्थमा के मरीजों को घर से कम निकलने और मास्क लगाकर ही निकले। सावधानी और सतर्कता सबसे बड़ा बचाव है।


    दीपावली के बाद स्माग का असर रहता है। दीपावली के पहले और बाद आनलाइन और आफ लाइन दोनों डेटा को एकत्र करके जानकारी जुटाई जा रही है। सतर्कता बरतने के लिए नोडल एजेंसी नगर निगम को पहले ही पत्र भेजा जा चुका है। उनके द्वारा पानी का छिड़काव और निर्माण स्थलों की निगरानी की जा रही है।
    अजीत कुमार सुमन, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी