कानपुर के भूमाफिया और अधिवक्ता अखिलेश दुबे की न्यायिक हिरासत की अर्जी खारिज, जानें क्या है वजह
कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की न्यायिक हिरासत की अर्जी खारिज हो गई। प्रज्ञा त्रिवेदी ने रंगदारी और अश्लील साहित्य बांटने का आरोप लगाया था। वहीं, पहले वक्फ संपत्ति कब्जाने के मामले में भी उनकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की अदालत ने प्रज्ञा त्रिवेदी द्वारा अखिलेश दुबे के खिलाफ दर्ज कराए गए रंगदारी के मुकदमे में एक और धारा में अखिलेश दुबे की न्यायिक हिरासत नहीं दी है। विवेचक ने आइपीसी की धारा 326 (जानबूझकर खतरनाक हथिया से किसी को गंभीर चोट पहुंचाने) की धारा में अखिलेश दुबे की न्यायिक हिरासत मांगी थी। अदालत ने सुनवाई के बाद विवेचक की अर्जी खारिज कर दी।
क्लासिक होटल की मालकिन रही प्रज्ञा त्रिवेदी ने जूही थाने में कई साल पहले अखिलेश दुबे के खिलाफ रंगदारी मांगने और अश्लील किताबे छापकर बंटवाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें पांच घंटे में एफआर लग गई थी। अब कोर्ट के आदेश पर अग्रिम विवेचना चल रही है। विवेचक ने आईपीसी की धारा 326 में अखिलेश की न्यायिक हिरासत मंजूर कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। इस पर भारी सुरक्षा के बीच शुक्रवार को अखिलेश को जेल से तलब किया गया था। कोर्ट ने विवेचक की अर्जी खारिज कर दी।
पूर्व इंस्पेक्टर के जमानत प्रार्थनापत्र पर बहस जारी
सिविल लाइंस स्थित वक्फ की संपत्ति पर कब्जे के मामले में अधिवक्ता अखिलेश दुबे की मदद करने के आरोपित पूर्व इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को बहस हुई। पूर्व इंस्पेक्टर ने जिला जज की कोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थनापत्र दिया है। जिला शासकीय अधिवक्ता दिलीप अवस्थी ने बताया कि अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस हुई। अब शनिवार को फिर बहस होगी।
इधर, वक्फ की संपत्ति कब्जाने में अखिलेश को जमानत नहीं मिली थी
जिला जज अनमोल पाल की कोर्ट ने वक्फ की संपत्ति कब्जाने के आरोपित अधिवक्ता अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी खारिज कर दी। जमानत पर अभियोजन और बचाव पक्ष की लंबी बहस हुई। ग्वालटोली थाने में दर्ज मुकदमे में अखिलेश पर धोखाधड़ी, कूटरचना, रंगदारी वसूलने और हत्या के प्रयास से संबंधित आरोप लगाए गए थे। नवाब इब्राहिम हाता परेड़ निवासी वादी मोईनुद्दीन ने रिपोर्ट में कहा था कि सिविल लाइंस स्थित वक्फ संपत्ति पर अखिलेश ने साथियों के साथ मिलकर कब्जा कर लिया था। विजिलेंस की जांच के बाद 2016 में रिपोर्ट दर्ज हुई और चार्जशीट भी लगी लेकिन अखिलेश ने साथियों के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेजों से वक्फ संपत्ति कब्जा ली। अखिलेश सब इंस्पेक्टर सभाजीत को 80 वर्षीय मोईनुद्दीन के घर भेजकर पैरवी न करने की धमकी दिलवाता था। पांच लाख रुपये रंगदारी मांगी गई। लखनऊ जाते समय मोईनुद्दीन व उसके भाई को ट्रक से कुचलने की कोशिश की गई। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता दिलीप अवस्थी की ओर से तर्क रखा गया कि विवेचना के दौरान अखिलेश के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। आगमन गेस्ट हाउस का रुपया अखिलेश के पास जाता था, ऐसा बयान भी प्रबंधक ने दिया है। वहीं अखिलेश की ओर से अधिवक्ता ने कूटरचित पावर आफ अटार्नी में अखिलेश के शामिल न होने और झूठा फंसाए जाने का तर्क रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने गंभीर अपराध मानते हुए अखिलेश की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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