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    कानपुर पुलिस लाइन के बगल में 20 परिवार संदिग्ध, रोहिंग्या की आशंका पर जांच शुरू

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 07:18 PM (IST)

    कानपुर में पुलिस लाइन के पास 20 संदिग्ध परिवार मिलने से हड़कंप मच गया है। पुलिस दस्तावेजों की जांच कर रही है, वहीं परिवारों का कहना है कि वे 50 सालों से यहां रह रहे हैं और उनके पास सभी जरूरी दस्तावेज हैं। पुलिस का कहना है कि सत्यापन के बाद रोहिंग्या पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोगों ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

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     बांग्लादेशी और रोहिंग्यां को चिह्नित करने के लिए चल रहे अभियान को देखते लोग। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर नगर की कई बस्तियों में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्यां को चिह्नित करने के लिए चल रहे अभियान के दौरान शुक्रवार को पुलिस लाइन बुढ़िया घाट के बगल में ही 20 संदिग्ध परिवार मिले। जानकारी मिलते ही जेसीपी अपराध एवं मुख्यालय विनोद कुमार सिंह ने टीम भेजकर सभी के दस्तावेजों के सत्यापन करने के निर्देश दिए। इसके साथ इंटेलीजेंस भी मामले की जांच में जुट गई है।

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    जेसीपी ने बताया कि जांच में रोहिंग्या व बाहरी देश का कोई मिलता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी। वहीं, परिवार का कहना है कि उन्हें खाली करने के लिए भी कहा गया है। नगर में छह माह पहले इंटेलीजेंस और कमिश्नरेट पुलिस ने बेकनगंज थाने के पास झुग्गी झोपड़ी, झकरकटी बस अड्डे के पास, रेलवे कालोनी के पास, मायापुरम-रविदासपुरम के पास सिंचाई विभाग की जगह पर, साकेत नगर कंजरनपुरवा, गुजैनी सी रब्लाक, कल्याणपुर सीटीएस, कैंट में गोरा कब्रिस्तान समेत 16 बस्तियों को चिह्नित किया है, जिसमें हजारों परिवार रह रहा है।

     

    इंटेलीजेंस ने शुरू की जांच तो चार सौ परिवर संदिग्ध

    इंटलीजेंस ने जांच शुरू करते हुए लगभग 400 संदिग्ध परिवारों का डोजियर तैयार करा चुका है। हालांकि सूत्रों के अनुसार नगर में अब भी 700 से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी परिवार नगर की बस्तियों में रह रहे हैं, जिन्हें इंटलीजेंसी और क्राइम ब्रांच व थाना पुलिस चिह्नित करने में लगी है। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है।

     

    इस गली में मिली रोहिंग्या की सूचना

    शुक्रवार सुबह कमिश्नरेट पुलिस को पुलिस लाइन के ठीक बगल में की एक गली में रोहिंग्या होने की सूचना मिली। जानकारी मिलते ही संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) अपराध एवं मुख्यालय ने पुलिस टीम भेजी, जहां लगभग 20 परिवार मिले, जो संदिग्ध थे। इसके बाद सभी के आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र समेत दस्तोवजों की जांच शुरू कर दी।

     

    लोगों ने ये कहा

    मामले में वहां परिवार के लोगों का कहना है कि 50 साल से ज्यादा यहां रहते हुए हो गया है। अब तक किसी ने राेहिंग्या या दूसरे देश का नहीं बताया। जबकि पुलिस लाइन की दीवार से जुड़े उनके मकान है। अब उन्हें हम लोग रोहिंग्या दिख रहे हैं। एक परिवार ने बताया कि पुलिस लाइन में बन रहे भवन की वजह से उनके घर की दीवार टूट गई। तब से अधिकारी उनके परिवार को रोहिंग्या बताने लगे। उनका कहना है कि वह तरह की जांच कराने को तैयार हैं।



    तीन पीढ़ी से परिवार रह रहा है। वे लोग हिंदू हैं और यहीं जन्म हुआ है। समझ में नहीं आ रहा है कि अचानक से उन्हें रोहिंग्या क्यों बना दिया गया।
    -विशाल वर्मा

     


    यहां बहू बनकर आई थी और अब सास बन चुकी हूं। ये रोहिंग्या और बांग्लादेशी कब और किसने बना दिया। पता नहीं। आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और नगर के निगम के दस्तावेज हैं। सबकी जांच करा दीजिए।
    -सियादुलारी

     


    पुलिस सुबह आई थी। उन्हें संदिग्ध बता रही है, लेकिन सच्चाई ये है कि पुलिस लाइन में बन रहे भवन की वजह से लोगों के घरों की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। एक बार पुलिस अधिकारी से शिकायत की थी। तब से ऐसा हो रहा है।
    -आरती

     



    पुलिस लाइन के बगल में हमारा परिवार रहते हुए 50 साल से ज्यादा हो गए। अब हमें रोहिंग्या बताना गलत है। हम तरह की जांच कराने के लिए तैयार है। हम सब यहीं के हैं। किसी और देश से नहीं आए हैं।
    -साबरा देवी

     


    पुलिस लाइन के पास अवैध रूप से रह रहे 15 से 20 परिवार संदिग्ध होने की बात प्रकाश में आई है। उनका सत्यापन कराया जा रहा है। रोहिंग्या या अन्य बाहरी देश के हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
    - विनोद कुमार सिंह, संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध एवं मुख्यालय