झांसी मेडिकल कालेज अग्निकांड: 10 मासूमों की मौत की जांच 11 माह से ठप, आखिर क्यों अटकी कार्रवाई?
झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में आग लगने की घटना के 11 महीने बाद भी जांच अधूरी है। स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय से आरोप पत्र न मिलने के कारण कार्रवाई रुकी हुई है। मंडलायुक्त ने मुख्यालय को पत्र लिखकर आरोप पत्र मांगे हैं। लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण यह हादसा हुआ था जिसमें 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई थी।

जागरण संवाददाता, कानपुर। झांसी मेडिकल कालेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में 15 नवंबर 2024 की शाम भीषण आग लग गई थी, इस घटना में 10 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई थी। घटना को लगभग 11 माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक आरोपितों को लेकर जांच की दिशा तय नहीं हो सकी है। शासन स्तर पर कई बार कार्रवाई के आदेश जारी होने के बावजूद जांच फाइलों में अटकी हुई है। वजह स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय की ओर से आरोपित अधिकारियों के आरोप पत्र अब तक नहीं भेजना है, जिसके कारण मंडलायुक्त कार्यालय से विभागीय जांच की कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। इस मामले में मंडलायुक्त के विजयेन्द्र पांडियन ने स्वास्थ्य मुख्यालय को पत्र भेजकर आरोप पत्र मांगे हैं, ताकि विभागीय जांच पूरी की जा सके।
मेडिकल कालेज में आग लगने के बाद उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। उनके आदेश के बाद स्वास्थ्य मुख्यालय के अधिकारियों ने मेडिकल कालेज की तत्कालीन प्रभारी प्रमुख अधीक्षक डा. सुनीता राठौर, सह आचार्य डा. कुलदीप चंदेल, डा. सचेंद्र माहुर, डा. ओम शंकर, डा. संध्या राम और विद्युत विभाग के अवर अभियंता संजीव कुमार को निलंबित करने के साथ ही विभागीय जांच के आदेश दिए थे। घटना की विभागीय जांच शासन ने कानपुर मंडलायुक्त के. विजयेन्द्र पांडियन को सौंपी गई थी। जांच शुरू करने के लिए उन्हें संबंधित अधिकारियों के आरोप पत्रों की आवश्यकता है, परंतु मुख्यालय की उदासीनता से पूरी प्रक्रिया ठप पड़ी है।
इस मामले को शासन को पत्र लिखकर बार-बार आरोप पत्र मांगे हैं ताकि जांच को अंतिम रूप दिया जा सके, मगर अब तक केवल एक ही अधिकारी का आरोप पत्र भेजा गया है। बीते 11 माह में केवल एक आरोपित तत्कालीन प्रभारी प्रमुख अधीक्षक डा. सुनीता राठौर का आरोप पत्र भेजा गया है। उन्होंने बीते दिनाें अपना जवाब के लिए 20 दिन का समय मांगा है, जो उन्हें दे दिया गया है।
इस घटना के बाद शासन ने प्रारंभिक जांच में लापरवाही, सुरक्षा मानकों की अनदेखी और विद्युत उपकरणों की खराब स्थिति को जिम्मेदार ठहराया था। रिपोर्ट में एनआईसीयू में फायर सेफ्टी सिस्टम के न होने और विद्युत लाइन में ओवरलोडिंग की बात सामने आई थी। शासन ने तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय जांच का आदेश दिया था, परंतु फाइलें अब भी मुख्यालय के गलियारों में अटकी हैं।
जांच तभी शुरू की जा सकती है जब सभी के आरोप पत्र प्राप्त हो जाएं। हमने शासन को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि लंबित आरोप पत्र शीघ्र उपलब्ध कराए जाएं, ताकि जांच को पूरा किया जा सके।
के विजयेन्द्र पांडियन, मंडलायुक्त
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