बीते वित्तीय वर्ष की छूटी आइटीसी क्लेम करना न भूलें, अंतिम तिथि के बाद नहीं मिलेगा मौका
पिछले वित्तीय वर्ष के छूटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को क्लेम करने की अंतिम तिथि करीब है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की छूटी आइटीसी का क्लेम 30 नवंबर तक ले सकते हैं। समय सीमा का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर कर विशेषज्ञों से सलाह लें।

जागरण संवाददाता, कानपुर। यदि आप वित्तीय वर्ष 2024-25 की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) लेना भूल गए हैं तो 30 नवंबर 20226 तक अपनी छूटी आइटीसी क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जीएसटीआर फार्म 3बी में दावा करना पड़ेगा। वैसे 30 नवंबर के बाद यह दावा किया तो जीएसटी का नोटिस तो मिलेगा ही, साथ ही आइटीसी की राशि ब्याज और अर्थदंड के साथ लौटानी होगी।
उद्यमी और कारोबारी अपने हर माह के कारोबार का टैक्स अगले माह की 20 तारीख को जीएसटीआर 3बी रिटर्न के जरिए भरते हैं। माल की खरीद करते समय उन्होंने जो टैक्स चुकाया होता है, वह उनके इलेक्ट्रानिक लेजर में आइटीसी के रूप में आ जाता है। इसके बाद अपना टैक्स चुकाते समय वे आइटीसी की इस राशि को समायोजित करते हुए टैक्स चुका देते हैं लेकिन कई बार कम टैक्स होता है और आइटीसी इलेक्ट्रानिक लेजर में ज्यादा होती है। ऐसे में आइटीसी खाते में पड़ी रह जाती है।
एक-दो माह बाद कारोबारी इन्हें भूल सा जाते हैं। इसलिए जीएसटी में व्यवस्था दी गई है कि अगर उद्यमी या कारोबारी किसी वित्तीय वर्ष में अपनी आइटीसी क्लेम करना भूल गए हैं तो वे अगले वित्तीय वर्ष में 30 नवंबर तक उस आइटीसी की राशि को अपने टैक्स में समायोजित कर सकते हैं। अभी कारोबारियों के पास अक्टूबर माह का रिटर्न फाइल करने का 20 नवंबर तक का समय है। अक्टूबर में उनकी जो बिक्री हुई है, उसका जो टैक्स उन्हें भरना है, वे पिछले वर्ष की आइटीसी से क्लेम कर सकते हैं।
मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश की जीएसटी कमेटी के चेयरमैन संतोष गुप्ता के मुताबिक 30 नवंबर तक आइटीसी क्लेम न की तो फिर इस राशि को वे क्लेम नहीं कर सकेंगे। फिर भी किसी उद्यमी या कारोबारी ने चुपचाप इस राशि को अपने अगले किसी माह के टैक्स को समायोजित करने के लिए क्लेम कर लिया तो जीएसटी का एआइ टूल इसे पकड़ लेगा और वह इसकी जानकारी दे देगा कि पुरानी बाकी पड़ी आइटीसी क्लेम की गई है जिसे क्लेम नहीं किया जा सकता था। इस पर विभाग पहले नोटिस भेजेगा इसके साथ ही वह जो आइटीसी क्लेम की गई है, उसे वापस लेगा और साथ में उस पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज लेगा और अर्थदंड भी लगाएगा।

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