IND A vs AUS A: उन्नाव की काली मिट्टी की पिच पर कानपुर ग्रीन पार्क में होगा आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला
कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में भारत ए और आस्ट्रेलिया ए के बीच अंतिम अंतरराष्ट्रीय मुकाबला उन्नाव की काली मिट्टी से बनी पिच पर खेला जाएगा। उन्नाव में मिट्टी की कमी के कारण अब बांदा उरई जालौन झांसी और वाराणसी की मिट्टी का उपयोग किया जाएगा। यूपीसीए क्यूरेटर कार्यशाला में मिट्टी के विकल्पों पर विचार किया गया। बीसीसीआई क्यूरेटर ने इन जिलों की मिट्टी को उपयुक्त पाया।

जागरण संवाददाता, कानपुर। भारत ए और आस्ट्रेलिया ए के बीच 30 सितंबर से पांच अक्टूबर के बीच होने वाले तीन वनडे मुकाबले उन्नाव की काली मिट्टी से बनी पिच पर खेले जाएंगे। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीन पार्क में जो भी मुकाबले होंगे। वे उन्नाव की मिट्टी के विकल्प के रूप में बांदा, उरई, जालौन, झांसी और वाराणसी के क्षेत्रों में मिलने वाली काली मिट्टी की पिच पर होंगे। पिछले दिनों उप्र क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से हुई प्रदेश स्तरीय क्यूरेटर कार्यशाला में पिच निर्माण के लिए मिट्टी के विकल्प की खोज पर मंथन किया था। जिसके शुरुआती परिणाम अच्छे मिले हैं और क्ले प्रतिशत भी काफी हद तक मानक युक्त मिला।
भारत ए और आस्ट्रेलिया ए टीम के बीच 30 सितंबर, तीन अक्टूबर और पांच अक्टूबर को होने वाले वनडे मुकाबलों के लिए यूपीसीए के क्यूरेटर शिव कुमार ने पिच को तैयार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि ग्रीन पार्क में उन्नाव की काली मिट्टी से बनी पिच पर यह अंतिम अंतरराष्ट्रीय मुकाबला होगा। उन्नाव में काली मिट्टी के रिसोर्स खत्म हो जाने के बाद स्टोर की गई मिट्टी से पिच की टाप ड्रेसिंग की जाएगी। अभ्यास विकेट को बनाने का काम शुरू भी कर दिया गया है।
अगले सप्ताह से मुख्य पिच का काम शुरू होगा। उन्होंने कहा कि क्यूरेटर कार्यशाला में बीसीसीआइ के पिच क्यूरेटर सुनील चौहान ने विकल्प के रूप में कई जिलों की मिट्टी की जांच की। इसमें क्ले कंटेंट के हिसाब से बांदा, उरई, जालौन, झांसी और वाराणसी बेल्ट की मिट्टी ठीक मिली है।
अंतरराष्ट्रीय मानक पर खरी रही उन्नाव की मिट्टी
अभी तक ग्रीन पार्क में उन्नाव की काली मिट्टी की पिच का 15 वनडे, 24 टेस्ट, एक टी-20, चार आइपीएल और हर वर्ष घरेलू शृंखला के मुकाबले खेले जाते रहे हैं। पिच क्यूरेटर शिव कुमार बताते हैं कि उन्नाव की मिट्टी का क्ले प्रतिशत 60 से 70 प्रतिशत है। जो पिच को मुकाबले के लिए अनुकूल बनाता है। जो क्ले कंटेंट के कारण जल्दी फटती नहीं है। इस मिट्टी की पिच बल्लेबाजों के साथ गेंदबाजों की भी मददगार रहती है।
सी गैलरी और बालकनी का नहीं होगा प्रयोग
स्टेडियम की जर्जर सी बालकनी और गैलरी का प्रयोग बांग्लादेश टेस्ट मैच और कानपुर प्रीमियर लीग की तरह भारत ए और आस्ट्रेलिया ए के बीच होने वाले मुकाबले में भी नहीं किया जाएगा। बांग्लादेश टेस्ट के बाद शासन स्तर पर स्टेडियम की गैलरी के निर्माण का कार्य किया जाना था। जो मैच के बाद शुरू किया जाएगा। यूपीसीए के सीईओ अंकित चटर्जी ने बताया कि सी बालकनी और गैलरी को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यूपीसीए की मैच आयोजन समिति और प्रशासन से वार्ता के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
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