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    IIT Kanpur Artificial Rain: दिल्ली में आर्ट‍िफ‍िशि‍यल बार‍िश के लिए आईआईटी कानपुर तैयार, प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर ने दी ये अहम जानकारी

    By akhilesh tiwariEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Mon, 06 Nov 2023 05:46 PM (IST)

    IIT kanpur आईआईटी कानपुर के कृत्रिम वर्षा प्रोजेक्ट को डीजीसीए (नागर विमानन मंत्रालय) ने पहले ही अपनी सैद्धांतिक अनुमति दे रखी है। अब जिस भी राज्य या क्षेत्र में कृत्रिम वर्षा कराई जानी है वहां बारिश कराने से पहले डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी। दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर आईआईटी के विज्ञानियों ने उन्हें प्रक्रिया की पूरी जानकारी दे दी है।

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    दिल्ली के परिवहन मंत्री ने IIT कानपुर के प्रो से बात कर कृत्रिम वर्षा के बारे में जानकारी हासिल की।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कृत्रिम वर्षा का प्रयोग करने का इरादा बनाया है। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर के प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल से बात कर कृत्रिम वर्षा के बारे में जानकारी हासिल की है। आईआईटी की ओर से उन्हें बताया गया है कि डीजीसीए (नागर विमानन मंत्रालय) से अनुमति की प्रक्रिया राज्य सरकार को पूरी करनी होगी। आईआईटी की टीम एक सप्ताह के अंदर बारिश कराने के लिए तैयार है।

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    आईआईटी कानपुर के कृत्रिम वर्षा प्रोजेक्ट को डीजीसीए (नागर विमानन मंत्रालय) ने पहले ही अपनी सैद्धांतिक अनुमति दे रखी है। अब जिस भी राज्य या क्षेत्र में कृत्रिम वर्षा कराई जानी है वहां बारिश कराने से पहले डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी। दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर आईआईटी के विज्ञानियों ने उन्हें प्रक्रिया की पूरी जानकारी दे दी है। आईआईटी कानपुर में कृत्रिम वर्षा परियोजना के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अंग्रवाल ने बताया कि सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने और डीजीसीए अनुमति के बाद हमारी टीम एक सप्ताह के अंदर कृत्रिम वर्षा कराने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि देश के किसी भी हिस्से में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए भी इसी प्रक्रिया का पालन करना होगा।

    यूपी सरकार की मदद से परियोजना को मिली सफलता

    आईआईटी के कृत्रिम वर्षा प्रोजेक्ट पर 2017 में काम शुरू हुआ। यूपी की योगी सरकार ने 2018 में बुंदेलखंड के किसानों की समस्या को ध्यान में रखकर सहयोग का हाथ बढ़ाया। यूपी सरकार के सहयोग से ही प्रयोग की शुरुआत हुई। प्रो. अग्रवाल के अनुसार अब तक सात बार कृत्रिम वर्षा कराने का प्रयोग किया गया है जिसमें पांच बार सफलता मिली है। इसी साल जून महीने में भी एक प्रयोग किया गया था।

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    ऐसे होती है कृत्रिम बारिश

    वर्षा कराने के लिए आईआईटी में विशेष तरह के उपकरण व मशीन तैयार की गई है। इन उपकरणों को हवाई के जहाज के डैनों के साथ इस तरह जोड़ा गया है कि जिससे हवाई जहाज की उड़ान भी प्रभावित न हो और आसमान में बादलों के निर्माण के दौरान आवश्यक रसायनों का छिड़काव किया जा सके। आईआईटी ने कृत्रिम वर्षा के लिए सिल्वर आयोडाइड, सामान्य नमक जैसे कई केमिकल का नैनो मिश्रण का प्रयोग किया है।

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    लॉकडाउन की वजह से प्रोजेक्ट में हुई देरी

    प्रो. अग्रवाल के अनुसार बादलों के ऊपर जाकर रसायनों का छिड़काव करने के लिए विशेष विमान की जरूरत होती है। आईआईटी के पास अमेरिकी सेसना विमान है जिसमें आवश्यक परिवर्तन की सेसना कंपनी से अनुमति लेनी पड़ी। लॉकडाउन की वजह से इसमें देरी हुई और सेसना कंपनी के आवश्यक उपकरण भी नहीं मिल पाए। 2022 से दोबारा प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ और 22 जून 2023 को 5000 फीट की ऊंचाई पर क्लाउड सीडिंग तकनीक का परीक्षण सफल रहा।