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    GST की नई दरों से जानें बिजली कारोबार को लाभ मिला या नहीं, दीपावली पर कितना होता कारोबार

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 09:53 PM (IST)

    कानपुर के बिजली बाजार को दीपावली पर जीएसटी दरों में राहत नहीं मिली जिससे व्यापारियों में निराशा है। पिछले साल 150 करोड़ से ज़्यादा का कारोबार हुआ था। व्यापारियों को उम्मीद थी कि सरकार कुछ राहत देगी क्योंकि बिजली के उपकरण अब ज्यादातर स्वदेशी हैं और हर घर में इस्तेमाल होते हैं। राहत न मिलने से व्यापारियों में निराशा है।

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    कानपुर मेस्टन रोड स्थित मनीराम बगिया। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। दीपावली रोशनी का त्योहार है लेकिन बिजली की झालर, झूमर, बल्ब आदि के बाजार पर जीएसटी (GST) दरों की राहत नजर नहीं आई है। पिछले वर्ष दीपावली के मौके पर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वाले इस बाजार को टैक्स में राहत नहीं मिल सकी है। यह स्थिति तब है जबकि मनीराम बगिया स्थित थोक बाजार से आसपास के जिलों के दुकानदार आकर खरीदारी करने लगे हैं।

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    एक दशक तक चीन की गिरफ्त में रहने वाले बिजली बाजार ने पिछले दो-तीन वर्ष में अपने आपको पूरी तरह स्वदेशी किया है। आज यहां दीपावली के मौके पर बिकने वाली झालर, झूमर, बल्ब आदि स्वदेशी ही हैं। पहले 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर चीन का कब्जा था। बिजली की झालर बनाने के लिए स्थानीय स्तर के कारीगरों को ही लगाया जा रहा है जिससे स्थानीय स्तर पर ही रोजगार भी मिल रहा है। इस बाजार में ज्यादा उपकरणों पर 18 प्रतिशत जीएसटी है।

    कारोबारियों को 15 अगस्त के बाद उम्मीद थी कि उन्हें भी इसमें राहत मिलेगी। इसके लिए उन्होंने 18 अगस्त को वित्त मंत्री को पत्र भी लिखा था। खासतौर पर दिल्ली, मुंबई से इस बाजार में माल आता है और यहां से आसपास के एक दर्जन जिलों में माल जाता है। कारोबारियों के मुताबिक बिजली के उपकरणों पर राहत इसलिए भी मिलनी चाहिए थी क्योंकि दीपावली के मौके पर छोटे से छोटा व्यक्ति भी अपने घर पर बिजली की एक झालर तो लगाना चाहता ही है।

    इस संबंध में कानपुर इलेक्ट्रिक कांट्रैक्टर्स एंड मर्चेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन राजीव मेहरोत्रा ने बताया कि बाजार में साढ़े तीन सौ दुकानदार हैं। इसके अलावा पूरे शहर में करीब 900 दुकानदार हैं। यह लग्जरी आइटम नहीं है। गरीब से गरीब आदमी के घर में बिजली का बोर्ड, प्लग, स्विच, बिजली का तार, बल्ब या ट्यूबलाइट लगी होती है। राहत न मिलने से निराशा है।

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