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    जीएसटी काउंसिल की घोषणाओं का लाभ कारोबारियों ने नहीं दिया तो...ग्राहक नहीं कर सकते शिकायत

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 03:01 PM (IST)

    GST New Rate जीएसटी काउंसिल की बैठकों में कारोबारियों को कई तरह की राहतें और छूटें दी जाती हैं लेकिन यदि व्यापारी इनका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाते तो ग्राहक इसकी शिकायत नहीं कर सकते। उपभोक्ताओं के लिए कोई सीधा तंत्र मौजूद नहीं है जिससे आम लोगों को लाभ सीमित हो जाता है।

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    जीएसटी काउंसिल ने टैक्स की दरों में खासी कमी की।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। केंद्र सरकार ने जीएसटी की पांच, 12, 18 व 28 प्रतिशत की चार दरों में 12 और 28 प्रतिशत की दरों को खत्म करने की घोषणा कर दी है और 22 सितंबर से सिर्फ पांच और 18 प्रतिशत की दरें ही वस्तुओं व सेवाओं के संबंध में लागू की जाएंगी। रोजमर्रा से जुड़ी तमाम वस्तुओं पर 18 और 12 प्रतिशत से घटा कर पांच प्रतिशत तो बहुत सी वस्तुओं की दरों को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल ने घोषणाएं बहुत अच्छी हैं, लेकिन टैक्स की दरों को कम करने का जो लाभ ग्राहक तक पहुंचना चाहिए, अगर कारोबारी ने उसे नहीं दिया व वस्तुओं की कीमतें कम नहीं की तो क्या होगा, इसमें संशय बरकरार है।

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    एक जुलाई, 2017 को जीएसटी को लागू करने के बाद जब कुछ वस्तुओं की दरों में संशोधन किया गया था, तब भी यहीं आशंका जताई गई थी कि अगर दुकानदारों ने ग्राहकों को टैक्स की दरों को कम करने से होने वाले लाभ को पास नहीं किया तो क्या होगा। इसके लिए 2019 में धारा 171 के तहत जीएसटी में नेशनल एंटी प्राफिटियरिंग अथारिटी का गठन किया गया था जिसे ग्राहकों की शिकायतों को सुनना था और दुकानदारों पर कार्यवाही करनी थी। समय के साथ इस अथारिटी का समय पूरा हो गया और एक अप्रैल 2025 से यह भी साफ हो गया कि अब किसी भी नई शिकायत पर यह अथारिटी सुनवाई नहीं करेगी। ऐसे मौके पर जीएसटी काउंसिल ने टैक्स की दरों में खासी कमी की है।

    अगर रोजमर्रा की वस्तुओं को देखें तो हेयर आयल, शैंपू, टूथ पेस्ट, टायलेट सोप, टूथ ब्रश, शेविंग क्रीम को 18 प्रतिशत से पांच प्रतिशत की श्रेणी में लाया गया है। ये वे वस्तुएं हैं जिन्हें आम आदमी हर माह खरीदता है। इसके साथ ही मक्खन, घी, चीज, डेयरी स्प्रेड, दालमोठ को 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत पर ले आया गया है। अब इन वस्तुओं की खरीद पर दुकानदार ने टैक्स की कम हुई दर के मुताबिक कीमत कम न की तो ग्राहक के पास उसकी शिकायत करने के लिए जीएसटी के अंदर कोई व्यवस्था नहीं है।

    इसी तरह एयर कंडीशनर, टेलीविजन, मानीटर, प्रोजेक्टर व डिश वाशिंग मशीन वे वस्तुएं हैं जिन्हें ग्राहक रोज नहीं खरीदता। न इनके भाव रोज पूछता है। इन्हें 28 से 18 प्रतिशत की दर में लाया गया है। यानी 10 प्रतिशत दर में कमी। अब अगर दुकानदार ने ग्राहक को पुराने भाव पर ही उसे बेच दिया और 18 प्रतिशत जीएसटी उसमें दिखा दिया तो दुकानदार का लंबा लाभ होगा और ग्राहक को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।

    ज्यादातर टैक्स सलाहकारों का कहना है कि व्यापारियों में जो उत्साह की लहर दिखाई दे रही है, उसका एक कारण यह भी है क्योंकि उन्हें मालूम है कि 22 सितंबर के बाद उन्हें जो माल पहले से रखा है, उस पर लंबा लाभ मिलने जा रहा है।

    जीएसटी की शुरुआत में ही इस आशंका पर नेशनल एंटी प्राफिटियरिंग अथारिटी का गठन किया गया था। उसका समय खत्म हो चुका है। साथ ही एक अप्रैल 2025 से इस अथारिटी में कोई शिकायत भी ग्राहक नहीं कर सकते। सिर्फ पुरानी शिकायतों की ही सुनवाई होगी।

    - संतोष कुमार गुप्ता, चेयरमैन जीएसटी कमेटी, मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश।

    अब ग्राहकों के पास सिर्फ सिविल सूट दाखिल करने का ही रास्ता है लेकिन ग्राहक के पास किसी वस्तु को लेकर इतनी ज्यादा जानकारी नहीं होगी कि फैक्ट्री ने उसे कितने में बनाया और कारोबारी उसे किस तरह बेच रहा है। इसलिए ग्राहक के लिए काफी ज्यादा मुश्किल होगी।

    - धर्मेन्द्र श्रीवास्तव, सलाहकार जीएसटी कमेटी, मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश।

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