देश में पहली बार बिना टांका लगाए अपेंडिक्स की सर्जरी, देश के शीर्ष सर्जन जानेंगे जीएसवीएम की उपलब्धि
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की छात्रा डा. अपूर्वा माथुर के अपेंडिक्स सर्जरी के शोध को वैश्विक पहचान मिली है, जिसमें बिना टांके और रक्तस्राव के सर्जरी की गई। हार्मोनिक स्कैल्पेल उपकरण की मदद से हुई इस सर्जरी में रिकवरी रेट अच्छा रहा। यह शोध देश के शीर्ष सर्जन के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे मरीजों को सुविधा और लागत में बेहतर परिणाम मिलेंगे।

जागरण संवाददाता, कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग की छात्रा डा. अपूर्वा माथुर के अपेंडिक्स की सर्जरी को बिना टांके और रक्तस्राव करने के शोध को वैश्विक पहचान मिल रही है। उप्र सर्जिकल एसोसिएशन के स्वर्ण जयंती सम्मेलन में जीएसवीएम की रेजिडेंट के शोध को जगह दी गई है। उप्र चैप्टर एसोसिएशन सर्जन आफ इंडिया इस सेलिब्रेशन (यूपीएएसआइकान) 2025 में देशभर से आए करीब 300 शोध पत्रों में जीएसवीएम के टांका रहित लेप्रोस्कोपिक एपेंडिक्स सर्जरी पर रिसर्च को देश के शीर्ष सर्जन के बीच प्रस्तुत किया जाएगा।
हार्मोनिक स्कैल्पेल उपकरण की मदद से देश में पहली बार हुई इस तरह की सर्जरी का रिकवरी रेट और अन्य खूबियों को देखते हुए मेडिकल जर्नल क्यूरियस में प्रकाशित किया जा चुका है। जो 17 और 18 नवंबर को पेरिस में होने वाले पांचवें वर्ल्ड कांग्रेस आफ हेल्थ केयर एंड मेडिसिन में भी प्रस्तुत होगा।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के वरिष्ठ सर्जन प्रो. जीडी यादव ने बताया कि सर्जरी विभाग में टांका रहित लेप्रोस्कोपिक एपेंडिक्स सर्जरी पर रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। जूनियर रेजिडेंट तृतीय वर्ष डा. अपूर्वा माथुर ने डा. श्रद्धा वर्मा और डा. प्रीयेश शुक्ला के मार्गदर्शन में 60 मरीजों पर शोध किया। इसमें 30 अपेंडिक्स के मरीजों को दूरबीन विधि से टांके लगाकर सर्जरी की गई। वहीं, 30 मरीजों में हार्मोनिक मशीन की मदद से सर्जरी हुई। इसमें टांके की जरूरत नहीं पड़ी।
शोध में शामिल 60 मरीजों में हुई सर्जरी के परिणाम का आकलन किया गया। इसमें दूरबीन विधि की तुलना में टांका रहित सर्जरी कम समय में पूरी हुई और मरीज की रिकवरी तेज पाई गई। इसके साथ ही रक्तस्राव कम हुआ और जटिलता का खतरा भी न्यूनतम रहा। शोधकर्ता डा. अपूर्वा माथुर ने बताया कि हार्मोनिक मशीन की मदद से होने वाली सर्जरी में अपेंडिक्स को कुछ मिनट में काटकर हटाया जाता है। इसमें बिना टांके लगाए ही शेष भाग को रक्तस्राव के बिना ही सही कर दिया जाता है। इससे मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की अवधि भी कम हुई है। यह सर्जरी मरीजों की सुविधा और लागत दोनों के लिए बेहतर साबित हो रही है।

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