डकैट दस्यु मंगली केवट को 10 वर्ष का कारावास, एके 47 बरामदगी मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा
वर्ष 2006 में पकड़े गए डकैट दस्यु मंगली केवट को कोर्ट ने शनिवार को 10 साल की सजा सुनाई है। मंगली को यह सजा एके 47 बरामदगी के मामले में दी गई है। निर्भय गुर्जर के गिरोह से मनमुटाव के बाद मंगली ने अपना गिरोह बना लिया था।
कानपुर देहात, जागरण संवपाददाता। इटावा, कानपुर देहात, चंबल व बीहड़ के साथ ही मध्य प्रदेश में सक्रिय रहे दस्यु सरगना मंगली केवट (Mangali kewat) से पुलिस ने करीब 16 वर्ष पूर्व एके 47, दो भरी हुई मैगजीन व जिंदा कारतूस बरामद किए थे। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ अमराहट थाने में मुकदमा दर्ज किया था, जिसकी सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश निजेंद्र कुमार विशेष न्यायालय फास्ट ट्रैक में चल रही थी। अभियुक्त को दोष सिद्ध करते हुए 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।
जालौन के थाना कठौंद विजवाहा निवासी डकैत मंगली केवट को वर्ष 2006 में बाबूपुरवा कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोपित पर हत्या, डकैती, हत्या का प्रयास सहित अन्य धाराओं में कानपुर नगर, देहात, औरैया, इटावा सहित कई जनपदों में मुकदमे पंजीकृत हैं। 50 हजार का इनामी डकैत मंगली केवट घातक एके 47 भी रखता था। पुलिस ने अमराहट क्षेत्र के महेशपुर गांव के पास जंगल से एके 47 बरामद की थी। इसके साथ ही दो मैगजीन भी बरामद हुई थी। सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी। नियत तिथि पर मामले की सुनवाई के दौरान बचाव व अभियोजन पक्ष की ओर से जोरदार बहस हुई। बचाव पक्ष ने दलील दी कि अभियुक्त वर्ष 2006 से जेल में बंद हैं। इस अवधि में उसका आचरण विधि व्यवस्था के खिलाफ नहीं पाया गया। ऐसे में कम से कम सजा की मांग की गई। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्त प्रदेश सरकार की ओर से इनामी है। वहीं कई जनपदों में अपराध करने के कारण मुकदमे पंजीकृत हैं। बचाव व अभियोजन पक्ष को सुनने के बाद न्यायालय ने अभियुक्त को आयुध अधिनियम के तहत दस्यु मंगली केवट को दोष सिद्ध किया। सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने बताया कि डकैत मंगली केवट को न्यायालय ने 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। इसके साथ ही जेल में अब तक बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की गई है। बाकी मुकदमे होने से वह जेल में ही रहेगा। प्रतिबंधित घातक हथियार होने पर धारा 25 (1क) में अधिकतम सजा 10 वर्ष की है।
अनबन पर निर्भय गुर्जर से अलग होकर बनाया था गिरोह
मंगली केवट पहले निर्भय गुर्जर के गिरोह में था। लेकिन उससे कुछ अनबन होने पर वह अलग हो गया था। इसके बाद उसने अपना अलग गिरोह बना लिया था। लेकिन जल्द ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं कुछ दिन पहले उसने अपनी जान को खतरा बताकर कोर्ट से विशेष सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी में पेशी पर लाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया था।