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    'तुलसीदास ने घर-घर पहुंचाए प्रभु श्रीराम', कानपुर में गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह में बोले डिप्टी सीएम

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 04:05 PM (IST)

    उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना करके घर-घर में प्रभु श्रीराम को पहुंचाया। उन्होंने अकबर के नवरत्न बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए जनसामान्य की भाषा में रामचरित मानस जैसे ग्रंथ की रचना की। उन्होंने कहा कि अकबर के समय में हिन्दू धर्म को नष्ट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा था।

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    सीएसजेएमयू में तुलसी जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण करते उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक

    जागरण संवाददाता, कानपुर। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना कर घर-घर में प्रभु श्रीराम को पहुंचाया। अकबर का नवरत्न बनाए जाने के प्रस्ताव को ठुकराकर उन्होंने दासता स्वीकार करने के बजाय भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए जनसामान्य की भाषा में रामचरित मानस जैसे महाग्रंथ की रचना की। पूरे देश में चाहे शादी, मुंडन, जनेऊ कोई भी शुभ कार्य हो प्रभु श्रीराम की पूजा होती है।

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    उपमुख्यमंत्री सनातन सेवा सत्संग कानपुर प्रांत व श्रीमद्भगवद्गीता एवं वैदिक वाङ्गमय शोधपीठ के तत्वावधान में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के वीरांगना लक्ष्मीबाई सभागार में गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह में बोल रहे थे।

    उन्होंने कहा कि अकबरकालीन समय में हिंदू धर्म को नष्ट करने का कुचक्र रचा जा रहा था। अकबर यहां मुगल साम्राज्य स्थापित करना चाहता था। तक्षशिला विश्वविद्यालय में आग लगा दी गई थी। इससे हमारे वेद, पुराण और उपनिषद नष्ट हो गए थे। तब गुरुओं ने अपने शिष्यों से गुरुदक्षिणा मांगी।

    कहा लोगों को वेद, पुराण और उपनिषद कंठस्थ करा दिए जाएं और ऐसा ही हुआ। तुलसीदास को रहीम ने अकबर के नवरत्न में शामिल होने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने ठुकरा दिया। कहा कि दासता मंजूर नहीं। इसके बाद उन्होंने रामचरित मानस की रचना की। अभी देश ने पाकिस्तान पर ब्रह्मोस मिसाइल की प्रयोग किया था। हम पौराणिक काल से हथियारों के मामले में काफी आगे रहे हैं। उस समय राजा दशरण शब्दभेदी बाण चला लेते थे।

    इसका जिक्र हिरण के धोखे में श्रवण कुमार पर तीर चलाने की कथा में आता है। अंग्रेजों के शासन से पहले मैकाले ने कहा था कि यहां की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के बिना भारत पर राज नहीं कर सकते हैं। युवा पीढ़ी का अह्वान किया कि वह सनात संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए आगे आएं। समारोह को स्वामी प्रबुद्धानंद और प्रखर वक्ता वीरेंद्र याज्ञनिक ने संबोधित किया। कुलपति विनय कुमार पाठक ने समारोह की अध्यक्षता की।

    उप मुख्यमंत्री ने विश्व विद्यालय परिसर में तुलसीदास की प्रतिमा का अनावरण किया। इससे पहले मोतीझील में तुलसी उपवन में मानस संगम के कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को गोस्वामी तुलसीदास जी के आदर्शों और उनके साहित्य से और अधिक परिचित कराने की आवश्यकता है।

    तुलसीदास का जीवन और उनकी रचनाएं, विशेषकर रामचरितमानस, न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक मूल्यों और नैतिक शिक्षाओं का भी विशाल स्रोत हैं। इन शिक्षाओं को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना होगा, ताकि वे अपने जीवन में सही दिशा और प्रेरणा प्राप्त कर सकें। उन्होंने ऐसे समारोहों के माध्यम से तुलसीदास के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।