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    कानपुर में आतंकी शाहीन, आरिफ के बाद एक और संदिग्ध नाम आया सामने, इसी डाक्टर के कहने पर मिला था आतंकी को कमरा

    By ankush shuklaEdited By: Anurag Shukla
    Updated: Sun, 16 Nov 2025 06:05 PM (IST)

    कानपुर में दिल्ली बम ब्लास्ट कनेक्शन में एक और नाम सामने आया है। आतंकी शाहीन और आरिफ के बाद, एक और संदिग्ध की भूमिका की जांच हो रही है, जिसने आरिफ को कमरा दिलाया था। डॉ. यासिर, जो पहले हृदय रोग संस्थान से जुड़े थे, उसी फ्लैट में रहते थे जहाँ से आरिफ को पकड़ा गया।

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    delhi blast jaish commander shaheen (1)

    जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर में दिल्ली बम ब्लास्ट कनेक्शन एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। आतंकी शाहीन और आरिफ के बाद एक और नाम सामने आया है। उसकी भूमिका की पता लगाया जा रहा है। उसी ने आरिफ को कानपुर में कमरा दिलाया था।

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    लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलाजी) में डाक्टरेट आफ मेडिसिन (डीएम) करने के लिए प्रथम काउंसलिंग से आया था। वह लगभग डेढ़ महीने बाद ही दूसरी काउंसलिंग में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीट मिलने पर चला गया था। उसकी ही खाली हुई सीट पर दूसरी काउंसलिंग के दौरान कश्मीरी मूल के डा. मोहम्मद आरिफ मीर को सीट मिली थी।

     

     

    डा. यासिर भी अशोक नगर स्थित उस फ्लैट में रहा था, जहां से डा. मोहम्मद आरिफ मीर को जांच एजेंसियों ने उठाया था। यह फ्लैट भट्ठा संचालक कन्हैयालाल का है। कन्हैयालाल का कहना है कि कार्डियोलाजी के डा. अभिषेक को फ्लैट 27 हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर दिया था।

     

     

    वही पहले डा. यासिर को लेकर आए थे, जबकि उसके जाने के बाद डा. आरिफ को लाकर कहा था कि अब यह उनके साथ रहेंगे। उन्होंने बताया कि उनके छह फ्लैट हैं, जिनमें दो में उनका परिवार रहता है, जबकि बाकी चार में किरायेदार रहते हैं।

     


    कार्डियोलाजी व मेडिकल कालेज में गाइडलाइन तैयार, सुरक्षित रखेंगे ब्योरा

    दिल्ली विस्फोट के षड्यंत्र में शामिल डा. शाहीन व कार्डियोलाजी के सीनियर रेजिडेंट रहे मो. आरिफ का नाम सामने आने के बाद हृदय रोग संस्थान अपने स्तर पर गाइडलाइन तैयार की है। इसमें कार्डियोलाजी में आने वाले प्रत्येक रेजिडेंट के संस्थान या बाहर रहने के स्थान के साथ उनके घर का पता, पारिवारिक ब्योरा सुरक्षित रखा जाएगा। संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश वर्मा ने बताया कि हर डाक्टर की छुट्टी, कब छुट्टी पर गए और कब वापस लौटे, छुट्टी जाने के कारण सहित अन्य सभी ब्योरा लिखित रूप से लिया जाएगा।

     

     

    जांच की जिम्मेदारी सीनियर प्रोफेसर्स की

    हर दिन संस्थान में काम करने वाले डाक्टरों की जांच की जाएगी। इसकी निगरानी सीनियर प्रोफेसरों की टीम करेगी। इसी प्रकार, जीएसवीएम मेडिकल कालेज में सभी डाक्टरों का डाटा सुरक्षित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यहां भी एक-एक फैकल्टी, जूनियर, सीनियर छात्रों से लेकर कर्मियों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।