दाउद की तरह यूपी में साम्राज्य खड़ा करना चाहता था डी-टू गैंग, छह नामों से खरीदीं करोड़ों की संपत्तियां
डी-2 गैंग को लेकर एडीजी कानून व्यवस्था को भेजी गई 12 साल पुरानी रिपोर्ट में दाऊद इब्राहिम से सीधे संबंधों का दावा किया गया है। इतना ही नहीं गिरोह द्वारा छह नामों से करोड़ों की संपत्तियां खरीदे जाने की भी जानकारी है।

कानपुर, गौरव दीक्षित। डी-टू (जनपदीय गिरोह) गैंग को लेकर जांच कर रही पुलिस को उसके आतंकी कनेक्शन से जुड़े पर्याप्त सबूत मिल गए हैं। पुलिस को जो दस्तावेज मिले हैं, उसके मुताबिक डी-टू गैंग के सीधे संबंध दाउद इब्राहिम से थे। दाऊद गैंग से सीखकर उसी की तर्ज पर डी-टू गैंग के आका यूपी में साम्राज्य खड़ा करने की योजना बना रहे थे। गैंग ने छह नामों से कानपुर नगर ही नहीं बल्कि प्रदेश और प्रदेश के बाहर भी संपत्तियां खरीदीं। इन नए तथ्यों के सामने आने के बाद डी-टू गैंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद जागी है।
2010 में खत्म हुआ था गैंग का वजूद : पुलिस रिकार्ड से डी-2 गैंग का वजूद वर्ष 2010 में समाप्त हो गया था, क्योंकि 19 जनवरी 2010 को इस गिरोह को आइएस-273 (इंटर स्टेट यानी अंतरराज्यीय) दर्जा दे दिया गया था। इससे पहले कानपुर के तत्कालीन एसएसपी ने गिरोह को लेकर एक रिपोर्ट एडीजी कानून व्यवस्था को भेजी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गिरोह का गैंग लीडर तौफीक उर्फ बिल्लू था, जिसे वर्ष 2004 में पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया था।
बिल्लू के बाद गिरोह की कमान सगे भाई रफीक के हाथों में आ गई। वर्ष 2005 में रफीक गिरफ्तार हुआ और बाद में डी-39 परवेज गैंग ने गोविन्द नगर क्षेत्र में पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या कर दी। रिपोर्ट में जिक्र है कि गैंग अन्य प्रदेशों में भी सक्रिय रहा है। बिल्लू व रफीक के मारे जाने के बाद इस गिरोह की कामन अतीक के हाथों में आ गई।
रिपोर्ट की खास बातें : - डी- टू गैंग के सदस्यों की गतिविधियां यूपी के अलावा दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में भी हैं। गैंग के द्वारा राजस्थान, बंगाल, दिल्ली, मुंबई आदि क्षेत्रों में संपत्तियां खरीदी गईं। -गिरोह भाड़े पर हत्या जबरन वसूली अपहरण, मादक पदार्थों की तस्करी, विदेशी हथियारों की तस्करी में लिप्त है।
आतंकी कनेक्शन
- गिरोह के सदस्य शफीक ने दाउद इब्राहिम और उसके भाई आलम जेब और रूसी पठान के साथ मिलकर मुंबई में विपक्षी गैंग के सदस्यों की हत्याएं कीं। तब से वह दाउद इब्राहिम के लगातार संपर्क में रहा। इस दौरान शफीक का ठिकाना पीला हाउस, मुंबई रहा।
- शफीक अंतरराष्ट्रीय अपराधी फजल रहमान उर्फ फजलू के साथ पुणे में फिरौती के लिए अपहरण एवं हत्या के मामले में सहअभियुक्त है।
- कुख्यात आतंकी एजाज लक्कड़वाला के साथ मिलकर गिरोह के सरगना अतीक ने जबरन वसूली की, जिसका मुकदमा वर्ष 2007 में स्पेशल सेल नई दिल्ली में पंजीकृत हुआ। अभियोग में दिल्ली पुलिस द्वारा दो लाख रुपये पुरस्कार घोषित होने के बाद अतीक की गिरफ्तारी मुंबई पुलिस ने की थी।
- पाकिस्तान निर्मित 30 स्टार मार्क पिस्टल के साथ गिरोह के सदस्य इकबाल उर्फ बाले को नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था। उमर खैयाम एवं अन्य सदस्यों के कब्जे से 30 बोर की पाकिस्तानी पिस्टलें वर्ष 1996 में बरामद की गईं थीं। इसका मुकदमा भी नर्द दिल्ली में दर्ज हुआ था। उमर खैयाम का संबंध अफगानिस्तान के अफीम और शस्त्र के तस्करों से था। खयाम मादक पदार्थ व शस्त्र अफगानिस्तान से पाकिस्तान के कबाइली इलाकों से होकर जम्मू कश्मीर लाता था। कश्मीर में सेब की पेटियों में छिपाकर हथियारों को दिल्ली और मुंबई में खपाया जाता था।
- रफीक आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में लंबे समय तक सक्रिय रहा। वहां हामिद नाम के कारोबारी के साथ तंबाकू के कारोबार में अपराध से खूब पैसा कमाया। तौफीक उर्फ बिल्लू के खिलाफ शस्त्र अधिनियम एवं मादक पदार्थ में वर्ष 1997 में नई दिल्ली के चांदनी महल में मुकदमा दर्ज हुआ और उसे गिरफ्तार किया गया था।
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