Delhi Blast में आपका भी नाम......आप डिजिटल अरेस्ट! ऐसी काल आए तो हो जाएं सतर्क, ये एनआईए न एटीएस
कानपुर में एक महिला साइबर ठगी का शिकार हुई। ठगों ने दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट का डर दिखाकर 6.66 लाख रुपये ठग लिए। एटीएस और एनआईए अधिकारी बनकर डराया, फिर डिजिटल अरेस्ट की धमकी दी। महिला ने डर के मारे पैसे ट्रांसफर कर दिए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है।

जागरण संवाददाता, कानपुर । दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की आतंकी घटना में तुम्हारा नाम आया है। बचना चाहती हो तो जल्दी से बताए गए खाते में रुपये ट्रांसफर कर दो नहीं तो जेल जाना पड़ेगा। साइबर ठगों ने दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट की आतंकी घटना का फायदा उठाते हुए कैंट निवासी महिला को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का डर दिखाकर उसे डिजिटल अरेस्ट करके 6.66 लाख रुपये खाते में ट्रांसफर करवा लिए। पीड़िता ने मामले को लेकर साइबर सेल में शिकायत की है।
कैंट क्षेत्र में रहने वाली सुनीता गौड़ ने साइबर सेल को दी गई शिकायत में बताया कि उनके पास दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद लगातार दो दिन फोन काल आई। जिसमें पहले दिन 10 नवंबर को खुद को एटीएस अधिकारी बताते हुए डराया और धमकाया गया कि उनका नाम दिल्ली कार ब्लास्ट की आतंकी गतिविधियों में आया है। अगले ही दिन एनआइए अधिकारी बनकर एक और साइबर ठग ने उन्हें धमकाते हुए जेल जाने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया और बचने के लिए खाते में रुपये भेजने को कहा।
साइबर ठगों की बातों में आकर सुनीता इतना डर गई कि उन्होंने स्वजन को बताए बिना ही उनके खाते में 6.66 लाख रुपये आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर कर दिए। घटना के करीब तीन दिन बाद उन्होंने स्वजन को आपबीती बताई तो उन्हें घटना की जानकारी हुई। स्वजन पीड़ित सुनीता को लेकर साइबर सेल पहुंचे और शिकायत की।
साइबर ठगों ने दिल्ली कार ब्लास्ट में फंसाने का डर दिखा एटीएस और एनआइए अधिकारी बनकर महिला से ठगी की है। मामले की जांच की जा रही है। घटना के राजफाश के लिए साइबर सेल को लगाकर खाते की जांच कराई जा रही है।
- अंजलि विश्वकर्मा, एडीसीपी क्राइम
साइबर ठगी से खुद को ऐसे बचाएं
- सबसे पहले नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें
- साइबर धोखाधड़ी से जुड़े हर तरह के साक्ष्यों को एकत्रित करके रखें
- ठगी होने के बाद एक से तीन घंटे के भीतर करें शिकायत, पैसे मिलने की संभावना
- 1930 पर फोन नहीं उठाने पर साइबर क्राइम की वेबसाइट पर रिपोर्ट करें
- मोबाइल में अंजान लिंक पर ना करें क्लिक और ना ही करें एप डाउनलोड करें
- शेयर मार्केट में निवेश करें तो सेबी से पंजीकृत एप्लीकेशन का ही उपयोग करें
- साइबर ठगी के फोन आने पर आप घबराएं नहीं, नंबरों को ब्लॉक कर दें या फोन काट दें
डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं
एडीसीपी अंजलि विश्वकर्मा ने बताया कि साइबर ठग व्यक्ति को सीबीआइ, ईडी,एटीएस और एनआइए आदि का डर दिखाते हैं। कहते हैं कि गलत काम में तुम्हारे आधार का उपयोग किया गया है, सीबीआइ अधिकारी या ईडी अधिकारी आपसे बात करेंगें। कस्टम में आपके नाम का पार्सल पकड़ा गया है जिसमें नशीले पदार्थ हैं। आम आदमी में इनका इतना डर है कि वह अपराधी के शिकंजे में फंस जाता है। कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं है। यह डर सिर्फ डर का खुद को बाधा गया एक फंदा है। अगर कोई कहता है कि आप अब डिजिटल अरेस्ट में हैं, तो व्यक्ति को तत्काल फोन काट देना चाहिए। कंप्यूटर बंद कर देना चाहिए और पुलिस से शिकायत करनी चाहिए कि इस नंबर से डिजिटल अरेस्ट का फोन आया था। साइबर क्राइम हेल्पलाइन के 1930 नंबर पर भी रिपोर्ट करें। डिजिटल अरेस्ट में तो व्यक्ति खुद ही खुद को बंधक बना लेता है, उसके दरवाजे तो अरेस्ट करने के लिए तो कोई खड़ा नहीं होता।

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