सीएसजेएमयू की नई पहल, बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट के लिए विशेष कोर्स
कानपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) अब छात्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट दिलाने के लिए विशेष कोर्स शुरू करने जा रहा है। इन कोर्सों के माध्यम से छात्रों को उद्योग की जरूरतों के अनुसार तकनीकी और प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी।

जागरण संवाददाता, कानपुर। मार्केटिंग अथवा आफिस असिस्टेंट के प्लेसमेंट के अलावा अब छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए वैश्विक स्तर के प्रमाण पत्र कोर्स की सुविधा देने जा रहा है। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में छात्र- छात्राओं को बड़े पैकेज पर प्लेसमेंट मिल सकेगा। इस तरह के सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले छात्र - छात्राओं की लाखों रुपये की फीस भी विश्वविद्यालय की ओर से दी जाएगी।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब बड़े पैकेज वाली नौकरियों के चयन में डिग्री के साथ कौशल योग्यता को भी महत्व देने लगी है। इन कौशल विकास प्रमाण पत्रों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान का प्रमाण माना जा रहा है। डिग्री के साथ विशेष प्रमाण पत्र वाले युवाओं को आसानी से चयन मिल रहा है। इसी को ध्यान में रखकर सीएसजेएमयू भी अब अपने छात्र- छात्राओं को इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनाने जा रहा है। इसके लिए युवाओं को बड़ी कंपनियों और अन्य संस्थाओं में इंटर्नशिप दिलाई जाएगी। तकनीकी और कौशल विकास प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र देने वाली वैश्विक संस्थाओं से प्रमाण पत्र लेने के लिए छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि विश्वविद्यालय के अन्य स्कूल और पाठ़यक्रम के विद्यार्थियों का प्लेसमेंट पहले से ही बेहतर है। अब तकनीक, मैनेजमेंट ,फार्मेसी और आर्ट्स, ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साइंसेज़ के छात्र-छात्राओं को इस प्रोग्राम का हिस्सा बनाने पर जोर दिया जाएगा। कौशल विकास के विशेष प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए छात्र- छात्राओं की ओर से दी जाने वाली फीस की उनके सफल चयन पर विश्वविद्यालय की ओर से चुकाई जाएगी।
विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डा. प्रवीण भाई पटेल ने बताया कि तकनीक व प्रतिस्पर्धा के युग में कंपनियों ने प्लेसमेंट का तरीका बदल दिया है। बीटेक पास युवाओं से अब इंजीनियरिंग के सैद्धांतिक ज्ञान के साथ कौशल का प्रमाण पत्र भी मांगा जा रहा है। तकनीकी कोर्स करना केवल दिखावा नहीं, बल्कि उसका सार समझना और प्रोजेक्टों के माध्यम से उसे व्यावहारिक बनाना ज़रूरी है। इंडस्ट्री में इंटर-डोमेन नालेज की भी मांग बढ़ रही है।
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