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आइआइटी के स्थापना दिवस समारोह में पहुंचे एल्युमिनी ने साझा किए अपने अनुभव, पढ़िए- खास बातचीत के अंश

आइआइटी कानपुर में मंगलवार को 62वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया है जिसमें एल्युमिनी बाटला हाउस एनकाउंटर का नेतृत्व करने वाले पूर्व आइपीएस कर्नल सिंह शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल हुए। यहां पर उनका सम्मान किया गया।

By Edited By: Published: Tue, 02 Nov 2021 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 02 Nov 2021 08:20 PM (IST)
आइआइटी के स्थापना दिवस समारोह में पहुंचे एल्युमिनी ने साझा किए अपने अनुभव, पढ़िए- खास बातचीत के अंश
आइआइटी के पूर्व छात्रों ने ताजा कीं पुरानी यादें।

कानपुर, जागरण संवाददाता। आइआइटी के 62वें स्थापना दिवस समारोह में पूर्व छात्र शामिल हुए और अपने अनुभव साझा किए। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बतौर मुख्य अतिथि आनलाइन शिरकत की तो बाटला हाउस एनकाउंटर का नेतृत्व करने वाले पूर्व आइपीएस कर्नल सिंह समेत कई बड़ी हस्तियां संस्थान पहुंची। यहां पर उनका सम्मान किया गया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने अनुभव बताए और पुरानीं यादें ताजा कीं।

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संस्थान ने सिखाया टीमवर्क करना

वर्ष 1973 में केमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक करने वाले राकेश भार्गव फार्मास्युटिकल कंपनी से जुड़े हैं। यह कंपनी डायलिसिस मशीनें विकसित करती है। उन्होंने बताया कि संस्थान ने उन्हें टीमवर्क करना सिखाया। वह आगरा से हैं, पर आइआइटी में पढ़ाई के दौरान तमिलनाडु, कर्नाटक के छात्रों से दोस्ती हुई। यही फार्मूला उनके लिए जापान और चीन में कारगर साबित हुआ। उन्होंने संस्कृति और रीति-रिवाजों को समझना व उनका आदर करना सीखा। वह अन्य पुरातन छात्रों के साथ मिलकर स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहे हैं। कोरोना काल में चिकित्सा क्षेत्र के स्टार्टअप आगे आए।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ाना होगा

गूगल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.प्रतीक जैन ने 2004 में कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया है। उनका मानना है कि चीन, अमेरिका के मुकाबले देश में एआइ शुरुआती दौर में है। चिकित्सा, शिक्षा, सुरक्षा क्षेत्रों में इसे तेजी से लाना होगा। स्कूल कालेज स्तर पर इसकी पढ़ाई कराना जरूरी है, जिससे छात्र-छात्राओं को जानकारी मिल सके। बार्डर के सर्विलांस के लिए यह प्रभावी होगा।

एसएमआरटी के लिए करेंगे सहयोग

वर्ष 1977 से केमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक करने वाले हेमंत जालान ने बताया कि उन्होंने डिग्री हासिल करने के बाद नौकरी की, फिर पटना में अपने घरेलू बिजनेस को संभाला। 1996 में भारी नुकसान हुआ, जिसके बाद तीन वर्ष तक तूतीकोरिन (तमिलनाडु) में कार्य किया। 2000 में इंडिगो पेंट की कंपनी तैयार की। उन्होंने बताया आइआइटी में प्रस्तावित स्कूल आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च (एसएमआरटी) की स्थापना के लिए पुरातन छात्र सहयोग कर रहे हैं। यह अच्छा प्रोजेक्ट है।


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