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    लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यूपी में मिली 'संजीवनी', अब शुरू हुई अंदरूनी कलह; पार्टी में जोड़तोड़ की सियासत तेज

    Updated: Thu, 11 Jul 2024 10:13 AM (IST)

    UP Politics लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का कई वर्षों बाद बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला। बढ़े वोट प्रतिशत के कारण कार्यकर्ता व पदाधिकारी जहां एक तरफ गदगद हैं तो वहीं दूसरी ओर पार्टी में अंदरूनी कलह अब सामने आने लगी है। पार्टी में महत्वपूर्ण पद पाने की होड़ में नेता व कार्यकर्ताओं ने बनी बनाई साख पर बट्टा लगाना शुरू कर दिया है।

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    प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे (फाइल फोटो)

    शिवा अवस्थी, कानपुर। वर्षों बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 'संजीवनी' मिली पर अब टांग खिंचाई में फंस गई है। पदाधिकारियों के बीच अंदरूनी कलह सतह पर आने लगी है। नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक महत्वपूर्ण पद पाने की होड़ में बनी बनाई साख पर बट्टा लगा रहे हैं। इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।

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    कानपुर-बुंदेलखंड से लेकर प्रदेश भर में कांग्रेस की हालत पिछले 34 वर्षों से पतली है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कानपुर सीट पर पार्टी प्रत्याशी को स्वाधीनता के बाद से हुए सभी चुनावों से अधिक 4.22 लाख मत मिले। इससे पुराने व नए नेताओं के साथ कार्यकर्ता उत्साहित हैं। मगर इस सबके बीच अब आपसी कतरब्योंत तेज हो गई है।

    एक-दूसरे पर फोड़ा जा रहा हार का ठीकरा

    पार्टी के बहुत कम मतों के अंतर से लोकसभा चुनाव हारने का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ा जा रहा है। यह लड़ाई लगातार मंचों पर सार्वजनिक भी हो रही है। शहर अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी के विरुद्ध मोर्चा खुला है तो कांग्रेस प्रत्याशी रहे आलोक मिश्र भी उनके पाले में खड़े हैं। पूर्व विधायक संजीव दरियाबादी, दिलीप शुक्ला समेत कई नेता इन दोनों के साथ गोलबंदी कर चुके हैं।

    उधर, पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के करीबी रहे अतहर नईम, पूर्व कार्यवाहक शहर अध्यक्ष कृपेश त्रिपाठी, प्रदेश महासचिव हर प्रकाश अग्निहोत्री, संदीप शुक्ला अलग खेमे में जुड़ गए हैं। इसी तरह, दक्षिण में पूर्व प्रदेश सचिव विकास अवस्थी, वर्तमान सचिव जेपी पाल पाला खींचे हैं।

    गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी करिश्मा ठाकुर, महापौर का चुनाव लड़ीं आशनी अवस्थी समेत और नेता पद पाने की होड़ में हैं। कोई महानगर कांग्रेस कमेटी के पक्ष में है, कई पहले जैसे उत्तर-दक्षिण व नगर-ग्रामीण कमेटी चाहते हैं।

    शहर से लेकर वार्डों-बूथों तक लगी होड़

    लोकसभा चुनाव में मजबूती संग मैदान में उभरी कांग्रेस में अब शहर, दक्षिण, ग्रामीण से लेकर वार्डों व बूथों तक पद पाने की होड़ लगी है। अपने-अपने करीबियों को पद दिलाने के लिए नेता खेमे में बंटे हैं। उसी लिहाज से लामबंदी कर रहे हैं।

    नुकसान और फायदा भी

    कांग्रेस में मची आपसी कतरब्योंत का पार्टी को नुकसान तय है। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में उत्साह फायदा भी दिला सकता है। कार्यकर्ता व नेता एकजुट होकर काम करें तो बेहतरी आएगी, जबकि अंदरूनी कलह, एक-दूसरे के विरुद्ध साजिश नुकसान देगी।

    शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने कहा-

    पार्टी में अच्छे नेताओं को लाना मकसद है। जानबूझ कर कुछ लोग अपनी ऊर्जा गलत दिशा में लगा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के सब संज्ञान में है। नेतृत्व के निर्देश पर काम कर रहे हैं।

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