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    अमीर बनने के लिए अगवाकर गरीब बच्चों को बेचते, कानपुर में बच्चा चोर गिरोह का राजफाश, इस तरह फैला रैकेट

    By ankur Srivastava Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Wed, 30 Jul 2025 11:26 PM (IST)

    कानपुर में एक महिला और पुरुष ने भंडारे का लालच देकर दो मासूम भाइयों का अपहरण कर लिया। एक बच्चे को शिवराजपुर में छोड़ने के बाद उन्होंने 20 महीने के बच्चे को 1.15 लाख रुपये में बेच दिया। पुलिस ने सीसी कैमरों की मदद से आरोपियों को पकड़ा और बच्चे को उन्नाव से बरामद किया।

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    आरोपित रेशमा बेगम और जूली रानी( बाएं से)। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। भंडारे में खाना और कपड़ा देने के बहाने स्कूटी सवार महिला व पुरुष ने बड़े चौराहे से दो मासूम भाइयों को सोमवार दोपहर अगवा कर एक को शिवराजपुर में छोड़ा, जबकि दूसरे 20 माह के बच्चे को उन्नाव की महिला को 1.15 में बेच दिया। शिवराजपुर पुलिस बड़े बच्चे से पूछताछकर कोतवाली थाने पहुंची, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने दूसरे बच्चे की तलाश में पेट्रोल पंप पर लगे सीसी कैमरों को खंगाला तो स्कूटी का नंबर ट्रेस हुआ।

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    इसके जरिए टीम ने लाल बंगला से अगवा करने वाली महिला को दबोच लिया, जिसकी निशानदेही पर बच्चा खरीदने वाली महिला को उन्नाव पकड़ा। उसके घर से ही बच्चा सुरक्षित बरामद हुआ। बच्चा बरामद करने वाली पुलिस टीम को डीसीपी पूर्वी ने 25 हजार रुपये पुरस्कार घोषित किया।

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    डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्मा ने बताया कि मूलरूप से उन्नाव के अतेसुआ सथरा के जमुनाखेड़ा कुईथर गांव निवासी सिंदूर-रंग बेचने वाले युवक ने बताया कि वह करीब छह साल से बड़े चौराहा के पास फुटपाथ पर त्रिपाल डालकर रह रहे हैं। सोमवार को उनका छह वर्षीय बेटा 20 माह के दूसरे बेटे के साथ सड़क किनारे खेल रहा था। दोपहर करीब तीन बजे के बाद दोनों बच्चे वहां नहीं दिखे।

    परिवार बच्चों की तलाश कर रहा था। उधर, मंगलवार शाम शिवराजपुर थाना पुलिस एक बच्चे को लेकर कोतवाली थाने पहुंची। उन्होंने बताया कि बच्चा शिवराजपुर के बाजार के पास रोता मिला है। उसका कहना था कि उसे भंडारे में खाने के साथ कपड़ा देने के बहाने उसे व उसके 20 माह के भाई को स्कूटी पर सवार अंटी और अंकल लेकर आए थे, लेकिन उसे वहीं छोड़कर छोटे भाई को अपने साथ ले गए।

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    पुलिस बच्चे से जानकारी कर बड़े चौराहे के पास उसके घर पहुंची। तब बच्चे के पिता ने बताया कि छोटा बेटा भी नहीं मिल रहा है। इस पर मामले में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। एडीसीपी पूर्वी अंजली विश्वकर्मा ने बच्चे से स्कूटी सवार लोगों के जाने के रास्ते की जानकारी की तो बताया कि उन लोगों ने कल्याणपुर के आगे एक पंप पर पेट्रोल भी डलवाया था।

    इसके बाद कोतवाली थाना प्रभारी जगदीश पांडेय की टीम बच्चे की तलाश के लिए पेट्रोल पंप के कैमरे जांचे तो शिवराजपुर के पास ही एक पंप पर दोनों की फुटेज व स्कूटी का नंबर ट्रेस हो गया। गाड़ी का नंबर लालबंगला के जगईपुरवा निवासी जूली रानी कुशवाह के नाम से पंजीकृत मिला। पुलिस टीम ने उस घर पर दबिश दी और जूली को दबोच लिया।

    जूली ने पूछताछ में बताया कि पति तीन माह पहले उसे छोड़कर कहीं चला गया है। स्कूटी की किस्तें भी बाउंस होने लगी। पैसे न होने से खाने के भी लाले पड़ गए थे। इसीबीच लालबंगला में रहने वाला प्रापर्टी डीलर वैभव सिंह से उसे मिला। उसने रुपये कमाने का शार्टकट रास्ता बताया। कहा कि उन्नाव की एक महिला को बच्चा चाहिए। अगर कहीं से छोटा बच्चा मिल जाए तो पैसों की समस्या खत्म हो जाएगी। इस पर वह राजी हो गई। पुलिस टीम वैभव के घर पहुंची, पर वह भाग चुका था।

    जूली ने बताया कि उन दोनों ने बच्चे केा उन्नाव के रामनगर निवासी रेशमा बेगम को बच्चा 1.15 लाख रुपये में बेचा है। इसके बाद पुलिस टीम जूली के साथ रेशमा के घर पहुंची और बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। डीसीपी ने बताया कि जूली रानी और रेशमा बेगम को गिरफ्तार कर लिया गया है। गुरुवार को दोनों को जेल भेजा जाएगा, जबकि वैभव की तलाश जारी है।

    13 साल से नहीं हुए बच्चे, मोह में खरीदा

    आरोपित रेशमा बेगम ने बताया कि उनके 13 साल से बच्चे नहीं हुए हैं। पति बिहार के मझगावां के मदरसा में पढ़ाते हैं। बच्चे के मोह में वह कई लोगों से संपर्क कर चुकी है। कई दरगाह भी गई। जब बच्चा कहीं नहीं मिला। तो बड़ी बहन के माध्यम से वैभव से संपर्क हुआ। उसे रुपयों का लालच दिया कि कोई बच्चा गोद दे दे। वैभव बच्चा लेकर आया तो उसे 1.15 लाख रुपये में खरीद लिया।

    यतीमखाना में गोद लेने गई तो, बोले- चार पहिया वालों को मिलते बच्चे

    आरोपित रेशमा ने पुलिस को बताया कि बच्चे न होने पर कुछ लोगों के कहने पर वह करीब दो साल पहले यतीमखाना भी गई, लेकिन वहां उनके लिए गेट तक नहीं खोला गया। एक कर्मचारी अंदर से ही कारण पूछने लगा। जब उसे बताया कि वह बच्चा गोद लेना चाहती है तो उसने कहा कि यहां चार पहिया वाले आते हैं। उन्हें ही बच्चे मिलते हैं। हर किसी के लिए ये जगह नहीं है। रेशमा ने बताया कि इससे उसे काफी ठेस पहुंची और अपनी गरीबी पर पछतावा करने लगी। उसने बताया कि अगर उसे यतीमखाने से बच्चा मिल जाता तो आज उसे ये दिन नहीं देखना पड़ता।