चंद्रग्रहण पर पांच घंटे 27 मिनट अद्भुत नजारा, ब्लड मून के बारे में जानें क्या कहते हैं IIT Kanpur के विशेषज्ञ
Chandragrahan 2025 पूर्णिमा पर 7 सितंबर को चंद्रमा लाल दिखेगा। सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आने से सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंचेगी। पृथ्वी से टकराकर सूर्य की किरणें बिखर जाएंगी चंद्रमा पर लाल रश्मियां पहुंचेंगी। यह पूर्ण चंद्रग्रहण रात 8 बजकर 58 बजे से शुरू होकर 2 बजकर 25 बजे तक रहेगा।

जागरण संवाददाता, कानपुर। Chandragrahan 2025: पूर्णिमा के अवसर पर अपनी रूपहली रोशनी बरसाने वाला चंद्रमा इस बार सात सितंबर को लाल रंग का दिखाई देगा। इसकी वजह खगोलीय घटना है। सूर्य का चक्कर लगा रही पृथ्वी अपनी कक्षा में सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाएगी। इससे सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच सकेगी। पृथ्वी से टकराकर सूर्य के किरणें बिखर जाएंगी और चंद्रमा पर केवल सूर्य किरणों की लाल रश्मियां ही पहुंचेंगी। ज्योतिष में इस घटना को पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जा रहा है।
पूर्ण चंद्रग्रहण सात सितंबर की रात 8:58 बजे से शुरू होगा और आधी रात के बाद 2:25 बजे तक रहेगा। पृथ्वी के सूर्य और चंद्रमा के बीच आने की गतिविधि ठीक 11 बजे होगी, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में ढंक जाएगा और लाल रंग लिए हुए दिखेगा। जिसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है। इस नजारे को खुली आंखों से देखा जा सकेगा। पांच घंटे 27 मिनट की इस खगोलीय घटना के दौरान आसमान में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण अब तीन मार्च 2026 को होगा।
आइआइटी कानपुर के स्पेस, प्लेनटरी, एंड एस्ट्रोनामिकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. अमितेश ओमर के अनुसार चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना तभी संभव होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा बिल्कुल एक सीध में आ जाते हैं। पृथ्वी सूर्य की रोशनी को रोक लेती है लेकिन कुछ रोशनी चांद तक पहुंचती रहती है। इसी कारण चंद्रमा पर लाल-नारंगी चमक बिखर जाती है। यह ग्रहण भारत, चीन, रूस, अरब देशों, पश्चिमी आस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप के कई हिस्सों से देखा जा सकेगा।
पूजा-पाठ, शुभ कार्य वर्जित
ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि चंद्र ग्रहण के शुरू होने से करीब नौ घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान क्रोध न करें। चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन न करें। पूजा पाठ करना भी वर्जित है। चंद्र ग्रहण के दौरान व्यक्ति को किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ भगवान के मंत्रों का जप करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के बाद पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है।
पृथ्वी की छाया पड़ने से होता है ग्रहण
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी चक्कर लगाती है और चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। इस परिक्रमा के दौरान जब सूरज और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी से टकराकर चंद्रमा पर पहुंचती हैं। नीले रंग की रश्मियां बिखर जाती हैं जबकि लाल रंग की किरणें चंद्रमा पर पहुंचती हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है। चंद्रमा और पृथ्वी की परिक्रमा को अगर दो छल्लों को आपस में फंसाकर देखा जाए तो एक - दूसरे को क्रास करने के दौरान जो स्थितियां बनती हैं उनसे इस खगोलीय घटना को समझा जा सकता है। इसे ज्योतिषियों ने ग्रहण कहा है।
- प्रो. अमितेश ओमर, विभागाध्यक्ष स्पेस, प्लेनटरी, एंड एस्ट्रोनामिकल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग आइआइटी कानपुर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।