स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल कर देगा याददाश्त 'जीरो', 'Brain Fog' से बचने को अपनाएं ये तरीके
तनाव, अत्यधिक स्क्रीन समय और नींद की कमी के कारण युवाओं में 'ब्रेन फाग' के मामले बढ़ रहे हैं। इसमें याददाश्त कमजोर होना, ध्यान न लगना और थकान जैसे लक् ...और पढ़ें

अंकुश शुक्ल, कानपुर। अगर आप पिछले कुछ समय से छोटी-छोटी बातें भूल रहे हैं या फिर अपनी ही कही बातों का याद रखना मुश्किल हो रहा है, तो यह ब्रेन फाग हो सकता है। इसमें अक्सर याददाश्त कमजोर होना, ध्यान न लगा पाना, सूचना को समझने में दिक्कत होना, अक्सर थकावट रहना और इधर-उधर के विचार आना आदि शामिल है।
सर्दी में तनाव, अत्यधिक काम का दबाव, नींद पूरी न होना, संक्रमण, पोषण की कमी के कारण ब्रेन फाग के मामले बढ़े हैं। ओपीडी में हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या देखने को मिल रही है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो साइंस विभाग और मनोरोग विभाग में हर दिन ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं।
ब्रेन फाग में तनाव से रक्तचाप बढ़ता है, जिस कारण स्मरण शक्ति कमजोर होती है और थकान सी महसूस होती है। इस स्थिति में मानसिक संतुलन कई बार बिगड़ जाता है और कई मौके पर व्यक्ति की जुबान भी लड़खड़ाने लगती है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह के मुताबिक, ब्रेन फाग कोई बीमारी नहीं हैं, यह भ्रम, भूलने और ध्यान में कमी को दर्शाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण हार्मोन का असंतुलित स्तर होता है।
अनदेखी करने पर यह मोटापा, असामान्य मासिक धर्म और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है। मनोरोग विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय चौधरी ने बताया कि मस्तिष्क में उम्र के साथ बदलाव आता है। इसके साथ ही मानसिक कार्य में भी बदलाव देखने को मिलते हैं।
इसका असर उम्र बढ़ने के साथ ही देखने को मिलता है। यह समस्या ज्यादातर उन लोगों को अपनी चपेट में ले रही है, जो स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर अधिक प्रयोग कर रहे हैं। इस कारण उनकी नींद प्रभावित हो रही है और तनाव के कारण हार्मोंस का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
ब्रेन फॉग के मुख्य लक्षण
- नींद न आना, अनिद्रा।
- लगातार सिर दर्द।
- कम ऊर्जा या थकान महसूस होना।
- चिड़चिड़ापन और विस्मृति की स्थिति।
- ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होना।
ऐसे करें बचाव
- काम का समय निर्धारित करें।
- एक समय पर एक ही काम पर ध्यान करें।
- नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें।
- संतुलित भोजन करें और पर्याप्त नींद लें।
- मोबाइल और स्क्रीन टाइम को कम करें।
- परिवार या किसी प्रियजन के साथ अपने मन की बातों को साझा करें।
कौन लोग हो रहे शिकार
- न्यूरो और मनोरोग की ओपीडी में ओपीडी में हर दिन पहुंच रहे 50 से 60 मरीज।
- 18 से 25 वर्ष तक के युवा ओं की संख्या सर्वाधिक।
- पांच घंटे से कम नींद लेने वाले युवा हो रहे शिकार।
- लगातार चार से पांच घंटे स्क्रीन टाइम वाले मरीजों की संख्या सर्वाधिक।

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