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    कानपुर में Digital Arrest की अब तक की सबसे बड़ी ठगी, रिटायर्ड बैंक मैनेजर को शि‍कार बनाकर ठगे इतने लाख रुपए

    यूपी के कानपुर में ड‍िजि‍टल अरेस्‍ट का एक और मामला सामने आया है। ठगों ने सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके 45 लाख रुपये ठग ल‍िए। शहर में डिजिटल अरेस्ट करके अब तक की यह सबसे बड़ी ठगी है। साइबर थाना ने मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। बता दें साइबर अपराध से बचना हो तो जागरुकता ही सबसे बड़ा अस्त्र है।

    By gaurav dixit Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 26 Dec 2024 04:18 PM (IST)
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    सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके ठगे 45 लाख रुपये।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, कानपुर। साइबर अपराध से बचना हो तो जागरुकता ही सबसे बड़ा अस्त्र है। दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे लुटेरा ऑनलाइन में पिछले दस दिनों से यही बताया जा रहा है कि पुलिस या सीबीआई वाला बनकर आपको साइबर ठग सकते हैं। कुछ इसी प्रकार का एक मामला शहर में प्रकाश में आया है, जिसमें साइबर ठगों ने सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके 45 लाख रुपये ठग लिए। शहर में डिजिटल अरेस्ट करके अब तक की यह सबसे बड़ी ठगी है।  साइबर थाना ने मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।

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    कृष्णा टावर इन्द्रप्रस्थ अपार्टमेंट रतनलाल निवासी इन्द्रजीत सिंह राजपूत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से चीफ मैनेजर पद से रिटायर हैं। उन्होंने बताया 19 दिसम्बर 2024 को उनकी पत्नी के मोबाइल नंबर पर सुबह नौ बजे एक फोन आया। फोन करने वाले को पहले ही पता था कि उनके पति स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी रहे हैं। उसने खुद को एसबीआई के कस्टमर सर्विस सेंटर का कर्मचारी बताया। उसने कहा कि उन्होंने केनरा बैंक में जो अकाउंट खुलवाया और उसमें जो क्रेडिट कार्ड इश्यू कराया है, उसी क्रेडिट कार्ड से 21 सितम्बर 2024 को 1.09 लाख रुपये का साइबर फ्रॉड किया गया है। यह सुनकर उनकी पत्नी घबरा गईं और उन्होंने उन्हें मोबाइल पकड़ा दिया।

    उसने वही सब बताया जो पत्नी को बोला था। उसने फ्लोर मैनेजर नवीन शर्मा नाम के व्यक्ति से उनकी बात कराई। कुछ देर बाद उनके पास एक और फोन आया, जिसने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताते उनके बैंक खाते से साइबर फ्रॉड होने की जानकारी दी। इस अधिकारी ने उन्हें इतना हड़काया कि वह उसके प्रभाव में आए। अब उनसे जांच के लिए पत्नी के आधार कार्ड की फोटो मांगी गई।

    इसके बाद केस को रफादफा करने के नाम पर 20 दिसंबर को उनसे पैसे ट्रांसफर करवाए गए। इंद्रजीत के मुताबिक, 20 दिसंबर को फिर से एसबीआई कस्टमर केयर से फोन आया। इस बार उसने कहा कि उनके नाम से क्रेडिट कार्ड नंबर, जोकि 21 सितम्बर 2024 को जारी हुआ है, उस पर एक मुकदमा दर्ज हो चुका है।

    आरोप है कि इस खाते के माध्यम से उन्होंने 2.56 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिग की है। यह भी आरोप लगाया कि इस रकम से कमीशन के तौर पर उन्हें 25.60 लाख रुपए मिले हैं। धमकी दी कि उन्हें एनएसए में निरुद्ध करके सालों के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। अब तक वह लोग बुरी तरह से डर चुके थे। बचाव के लिए बड़े अधिकारी से बात कराने का प्रस्ताव उनके सामने रखा गया। यह भी कहा गया कि लेनदेन करके मामले को निपटा लो, लेकिन यह बात किसी और को नहीं पता चलनी चाहिए। इस बार नितिन पवार नाम के व्यक्ति से उनसे बात कराई गई। नितिन ने उससे पूछताछ के नाम पर बैंक संबंधी सूचनाएं पूछीं।

    नितिन पवार ने उनसे कहा कि बैंक जाओ और इस बीच मोबाइल बन्द मत करना। डराकर उनसे बताए गए खाते में 18 लाख और 3.20 लाख जमा करा दीजिए। इसके बाद 21 दिसम्बर को पूर्व अपर पुलिस आयुक्त आकश कुलहरि का नाम लेकर 5.45, 3.30 और 2.70 लाख रुपए बताए गए खातों में जमा कराए गए। 23 दिसंबर को एक्सिस बैंक पैसा जमा कराए गए। फिर कहा गया कि उनके पास जो भी सोना हो, उसको बेच करके 12 लाख रुपए और जमा कराइए।

    ऐसे पता चला कि हो रही है ठगी

    इन्द्रजीत सिंह राजपूत ने बताया कि ठगों ने उनसे कहा कि म्यूचुअल फंड बेचकर और पैसा जमा करे। इसके लिए वह आईआईएफएल में कार्यरत एक अधिकारी से मिले और उन्हें पूरा किस्सा बताया और बताया कि किस तरह से तीन दिनों से उन्हें मोबाइल पर ऑनलाइन रहकर डिजिटल अरेस्ट किया गया है। तब उस अधिकारी ने उन्हें अहसास दिलाया कि उनके साथ साइबर ठगी हो गई है। इसके बाद वह पुलिस के पास पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई।

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