शेरनी के दोबारा मां बनने पर भी हो सकती शावकों की मौत
कानपुर, जागरण संवाददाता: शेरनी जब पहली बार मां बनती है, तो उसके शावकों की फौरन मौत हो जाती है या कह
कानपुर, जागरण संवाददाता: शेरनी जब पहली बार मां बनती है, तो उसके शावकों की फौरन मौत हो जाती है या कह सकते हैं कि वह मृत शावकों को ही जन्म देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शेरनी के बच्चे प्री-मेच्योर डिलीवरी (समय पूर्व प्रसव) के तहत हो जाते हैं पर जब शेरनी दोबारा बच्चों को जन्म देती है तो भी उनकी मौत हो सकती है। शावकों के बचने की संभावना न के बराबर होती है। उनके बचाव के लिए काफी संजीदगी रखनी पड़ती है। ये कहना है अहमदाबाद से शेरों से जुड़ी गतिविधियों के प्रशिक्षण लेकर लौटे प्राणिउद्यान के चिकित्सक डॉ.आरके सिंह का।
उन्होंने बताया बीती 16 अगस्त को अहमदाबाद, जूनागढ़, गिर नेशनल पार्क व गुजरात में प्रशिक्षण लेने गए थे। उन्होंने बताया कि गिर नेशनल पार्क में शेरों की संख्या 523 है। इसलिए वहां का अनुभव काफी काम आएगा।
ब्रीडिंग, मेटरनिटी केयर और रखरखाव पर हुई चर्चा
डॉ. सिंह ने बताया कि शेरों की ब्रीडिंग, मेटरनिटी केयर, जन्म लेने वाले शावकों की देखभाल, रखरखाव, फीडिंग के विषय में कैसी सावधानियां रखनी हैं। इस संबंध में बताया गया। साथ ही जो नई तकनीकें इनसे जुड़ी हैं, उनका उपयोग कैसे करना है। इस पर जोर दिया गया। वहां पर कई प्राणिउद्यानों के अफसर, चिकित्सक, प्रशिक्षक, विशेषज्ञ और कीपर मौजूद थे।
जब शेर होगा तो कराएंगे ब्रीडिंग:
कानपुर जू में फिलहाल तो शेरों की ब्रीडिंग नहीं हुई। विष्णु और लक्ष्मी भी बहुत कम समय के लिए यहां रहे। उसके बाद उन्हें इटावा लॉयन सफारी भेज दिया गया। हां, त्रुशा की प्रशांत के साथ मिलन कराकर ब्रीडिंग कराई गई। अब प्रशांत के साथ ही सावित्री के मिलन की तैयारी है। डॉ.सिंह का कहना था कि जब शेर होगा तो उसकी ब्रीडिंग जरुर कराएंगे या जहां मौका मिलेगा वहां जाकर नई तकनीकों का उपयोग करेंगे, ताकि शावकों को बचाया जा सके।
गर्भकाल समय: शेरनी का गर्भकाल समय 105 से 115 दिन का होता है।
बच्चों के जन्म का उचित समय: ठंड के पहले या फिर फरवरी मार्च के समय।
अनुकूल स्थान: सूखाग्रस्त क्षेत्रों में या पतझड़ वाले स्थानों में।
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