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    लाख बहोसी पक्षी विहार में झील की शोभा बढ़ा रहा 'ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव', चीन से पांच वर्ष बाद लौटा

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 04:45 PM (IST)

    कन्नौज के लाख बहोसी पक्षी विहार में पांच साल बाद चीन से ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव पक्षी लौटा है। इसके साथ ही 12 हजार प्रवासी पक्षियों का आगमन हुआ है, जो झ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, कन्नौज। प्राकृतिक सौंदर्य की बात हो, तो चर्चा लाख बहोसी पक्षी विहार तक पहुंच ही जाती है। पक्षी विहार की झील में चीन से पांच वर्ष बाद ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव आया है।

    यह पक्षी बहुतायत में नहीं है। इसके अलावा अन्य प्रजाति के 12 हजार प्रवासी पक्षियों का आगमन हो चुका है। झील में उनकी अठखेलियां सैलानियों को आकर्षित कर रहीं हैं। झील में प्रवासी पक्षियों का डेरा सर्दी रहने तक रहेगा।

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    इंदरगढ़ में लाख बहोसी पक्षी विहार की स्थापना 1988 में हुई थी। 2007 में इसे राष्ट्रीय नम भूमि संरक्षण कार्यक्रम के 94 स्थानों में चुना गया था। इसका दायरा करीब 88 वर्ग किलाेमीटर है। पक्षी विहार में बड़ी झील बहोसी 250 हेक्टेयर व लाख की झील 125 हेक्टेयर में है।

    सर्दी के समय निचली गंग नहर का पानी झील में भर दिया जाता है। इससे लाख और बहोसी की झील दोनों आपस में मिल जाती हैं। यहां पर वन विभाग का एक गेस्ट हाउस, ज्ञान-विज्ञान केंद्र समेत खेल-कूद के उपकरण भी लगे हैं।

    पक्षी विहार में इस वर्ष ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव पक्षी नजर आया है। यह पक्षी वर्ष 2020 में देखा गया था। इसके बाद चार वर्ष तक नजर नहीं आया। अभी ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव की संख्या करीब 10 से 12 है। पक्षी विहार में 12 हजार विदेशी और करीब 18 हजार स्वदेशी पक्षी आ चुके हैं। पक्षी विहार की झील सैलानियों को लुभाने लगी है।

    इन पक्षियों का ठहराव

    वार हेडेड गूज, ओपन बिल स्टोर्क, श्वेत कंठ स्टोर्क, श्याम कंठ स्टोर्क, श्वेत आइबिस, श्याम आइबिस, पन कौव्वा, किंगफिशर, स्पून बिल, ब्लैक दोरोंगों, व्हिशलिंग डक, श्वेत उदर जल मुर्गी, जल मुर्गा, स्विफ्ट उल्लू, हूपू, मैना, बगुला, बुलबुल, बाब्लेर सारस क्रेन समेत कई प्रजातियां पाई जाती हैं।

    चीन का ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीव पांच वर्ष बाद पक्षी विहार में लौटा है। विदेशी पक्षियों को हजारों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। ऐसे में रास्ते में कोई बेहतर पक्षी विहार मिला तो वह वहीं पर रुक जाते हैं। विदेशी पक्षी अपनी सुविधा और सुरक्षा पर ही ठहरते हैं। पहले कुछ पक्षी विहार थे, लेकिन अब कई जिलों में खुल गए हैं। इससे यहां विदेशी पक्षी कम होते जा रहे हैं।
    विकास सक्सेना, रेंजर, पक्षी विहार, लाख बहोसी