आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण में हेराफेरी, किसानों को दे दिया 5.86 करोड़ अधिक मुआवजा
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के भूमि अधिग्रहण में हेराफेरी का खुलासा हुआ है। किसानों को 5.86 करोड़ रुपये का अधिक मुआवजा देने का आरोप है। अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है। मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, कन्नौज। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे निर्माण में भूमि अधिग्रहण के दौरान धांधली का मामला फिर सामने आया है। तिर्वा और छिबरामऊ तहसील क्षेत्र में किसानों को करीब 5.86 करोड़ रुपये ज्यादा मुआवजा दिया गया है। राजस्व परिषद ने एक बार फिर फर्जीवाड़ा की जांच का निर्णय लिया है। इससे कई राजस्व अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
वर्ष 2014 में एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण के दौरान करीब 146 किसानों को सड़क के किनारे भूमि अधिग्रहण के नाम पर ज्यादा मुआवजा दिया गया था। तिर्वा और छिबरामऊ तहसील में 5.86 करोड़ रुपये की धांधली सामने आई है। इससे पहले भी 2020 में नियंत्रक-महालेखा परीक्षक ने एक्सप्रेसवे का भौतिक निरीक्षण कर भूमि अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा की जांच की थी। उसके बाद तिर्वा में करीब डेढ़ करोड़ रुपये और छिबरामऊ में 4.36 करोड़ रुपये वसूली के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
करीब 5.86 करोड़ रुपये का अधिक मुआवजा देकर किसानों को लाभ पहुंचाया गया है। इसके बदले में किसानों ने राजस्व अधिकारियों को भी मोटी रकम दी थी। किसानों को रिकवरी का नोटिस भी भेजा जा चुका है, लेकिन कई किसानों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इससे जांच ठंडे बस्ते में चली गई थी। अब राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण की जांच कराने का निर्देश दिया है।
इन गांवों के किसानों को मिला अधिक मुआवजा
तिर्वा तहसील क्षेत्र के पिपरौली, बस्ता, सत्सार, भुन्ना, बलनापुर और पट्टी गांव के किसानों की कम भूमि अधिग्रहित होने के बाद भी अधिक भूमि का अधिग्रहण और सर्किल रेट के मानकों को दरकिनार कर मुआवजा दिया गया है। इसी तरह छिबरामऊ तहसील क्षेत्र के भीकमपुर सानी, बेहटा खास, रनवां, जलालपुर दीनपुर, बहादुरपुर मझिगवां, सिकंदरपुर सकरावा, हुसेपुर में जमीन अधिग्रहण के नाम पर खेल हुआ है।
जिले में 78 किमी है एक्सप्रेसवे की लंबाई
आगरा से लखनऊ तक छह लेन के एक्सप्रेसवे की लंबाई 302 किमी है। कन्नौज जिले में ठठिया से सौरिख तक 78 किमी तक है। एक्सप्रेसवे का सबसे अधिक क्षेत्रफल कन्नौज में आता है। कन्नौज जिले की तीनों तहसील सदर, तिर्वा और छिबरामऊ से होकर यह गुजरा है। एक्सप्रेसवे की निर्माण प्रक्रिया अगस्त 2014 में शुरू हुई थी। 22 माह बाद नवंबर 2016 में इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। फरवरी 2017 को यह आम जनता के लिए खोल दिया गया। 18 जनवरी 2018 से टोल टैक्स की वसूली शुरू हुई। इसकी कुल लागत 13,200 करोड़ रुपये थी। यह आठ जिलों आगरा, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा, कन्नौज, उन्नाव, कानपुर और लखनऊ में है।
गर्दन बचाने की जुगत में अधिकारी
भूमि अधिग्रहण के दौरान तैनात राजस्व अधिकारी अब आलाधिकारियों से कहते हैं कि कुछ बैनामों में जमीन की चौहद्दी में छोटे संपर्क मार्ग अस्तित्व में नहीं थे। इस कारण बैनामे मंजूरशुदा सर्किल दरों से अधिक दरों पर किए गए। इस दांव से अधिकारी अब अपने आप को बचाने में जुटे हैं। फिलहाल इस शर्त और मंजूरशुदा सर्किल दरों से अधिक मुआवजा देने का जिक्र अधिग्रहण के दस्तावेजों में नहीं है।
एक्सप्रेसवे के भूमि अधिग्रहण की जांच की उन्हें जानकारी मिली है। अगर शासन से जांच होती है तो उसमें सहयोग किया जाएगा।
आशुतोष मोहन अग्निहोत्री, जिलाधिकारी

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