श्वेत प्रदर की समस्या से न घबराएं महिलाएं
फोटो : 27 जेएसएस 1 ::::::: कैप्शन : डॉ. संजया शर्मा, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग,

फोटो : 27 जेएसएस 1
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कैप्शन : डॉ. संजया शर्मा, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलिज, झाँसी।
समरी पैरा
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शरीर स्वस्थ रहे तो मन भी स्वस्थ रहता है। बदलती जीवनशैली में कई गम्भीर बीमारियाँ अब आम हो चुकी हैं। बड़ी संख्या में लोग जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उपचार में देरी करना बाद में घातक सिद्ध होता है। कई बार स्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं, जब चिकित्सकों के हाथ में भी कुछ नहीं रह जाता। यदि शुरूआत से ही व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहे तो बीमारियाँ उसके आसपास तक नहीं फटक पाएँ। पर आज के समय में ऐसा करना मुश्किल ही है। जानकारी का अभाव में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतना आजकल आम है, इसीलिए हम आपके लिए लाये हैं अपना नया स्तम्भ 'स्वस्थ समाज' जो आपको विभिन्न जानलेवा बीमारियों के प्रति न सिर्फ जागरूक करेगा, बल्कि आपको इन बीमारियों के बचने का रास्ता भी दिखाएगा। विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा इस कॉलम के माध्यम से लोगों को भविष्य के ख़्ातरों से आगाह किया जाएगा, ताकि आप स्वस्थ रहें। ऐसे ही सम्भव है स्वस्थ समाज की परिकल्पना।
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झाँसी : महिलाओं को श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) की समस्या होने पर बिलकुल भी घबराने की ़जरूरत नहीं है। बस, समय रहते इलाज कराना ़जरूरी है। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलिज व ़िजला महिला चिकित्सालय में इस बीमारी का इलाज सम्भव है।
मेडिकल कॉलिज के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संजया शर्मा ने बताया कि कई बार महिलाओं को उनके प्रजनन अंग से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हीं में से एक है योनि मार्ग से सफेद पानी निकलना, जिसे चिकित्सीय भाषा में श्वेत प्रदर सफेद पानी या ल्यूकोरिया कहते हैं। इसमें लड़कियों को श्वेत प्रदर का स्त्राव होने लगता है, जो सामान्य रूप से मासिक चक्र के अनुसार बदलता रहता है। वेजाइना के अन्दर मौजूद ग्लैण्ड्स इस पदार्थ को रिली़ज करते हैं, जिनके साथ डेड शेल्स और बैक्टीरिया भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इस तरह का पतला और सफेद स्त्राव पूरी तरह से सामान्य है, लेकिन कभी -कभी किन्ही कारणों से स्त्राव के रंग में बदलाव आ सकता है, जो शरीर में बीमार का लक्षण हो सकता है।
लक्षण
वेजाइना से होने वाले डिस्चार्ज सामान्य रूप से सफेद रंग का होता है, जिसमें से हल्की से गन्ध आती है। यह मासिक चक्र के हिसाब से बदल सकता है। साथ ही सामान्य दिनों में होने वाला डिस्चार्ज बेहद पतला, बदबूदार एवं दर्दरहित होता है, लेकिन अगर किसी महिला को निम्न लक्षण दिखें तो ये बीमारी के संकेत है।
- स्त्राव का रंग पीला, हरा अथवा भूरा होना।
- स्त्राव का बेहद गढ़ा या चिपचिपा होना।
- योनि में जलन और खुजली महसूस होना।
- अत्याधिक थकान, पेट अथवा कमर में दर्द।
कारण
सफेद स्त्राव के कई कारण हो सकते हैं।
- इन्फेक्शन जैसे बैक्टीरियल, इस्ट इन्फेक्शन, ट्राइकोमोनिऐसिस, इन्फ्लेमेटरि डि़जी़ज।
- सफाई की कमी : अण्डरवियर नियमित रुप से न बदलना, अधिक पसीना आना। इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर।
बचाव का तरीका
- महिलाओं को योनि स्त्राव की समस्या से बचाव के लिए नियमित रूप से साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
- सिंथेटिक कपड़े से बने इनरवेयर का इस्तेमाल करें।
- कपड़े के इनरवियर पहनें।
- सफाई के लिए साबुन या दूसरे केमिकल्स का इस्तेमाल न करें, वरना योनि का पीएच बिगड़ जाएगा।
- स्वच्छ एवं सन्तुलित भोजन का सेवन करें।
उपचार
असामान्य योनि स्त्राव का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि इन्फेशन किस तरह का है। इन्फेशन के मामले में ऐण्टिफंगल दवाइयाँ दी जाती हैं। बैक्टीरियल, वजाइनोसिस की समस्या में ऐण्टि बायोटिक दवा दी जाती है। अत: ऐण्टि बैक्टीरियल, ऐण्टि फंगल तथा ऐण्टि प्रोटोजोअल का संयुक्त रूप से उपचार किया जाता है। सरकारी अस्पतालों में इसके इलाज के लिए अलग-अलग प्रकार के स्त्राव के लिए किट्स मुक्त में उपलब्ध करायी जाती हैं। सामान्य संक्रमण के लिए लगभग 10 से 19 दिनों का उपचार आवश्यक है, परन्तु यदि साफ-सफाई का समुचित ध्यान रखा जाए तो योनि स्त्राव की समस्या को दूर खना आसान है।
फाइल : राकेश यादव
समय : 6.30 बजे।
दिनांक : 27 दिसम्बर 2020
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