खाद व्यापारी के विरुद्ध मामला दर्ज
झाँसी : ़िजला कृषि अधिकारी डॉ. बीआर मौर्य ने नवाबाद पुलिस को दी तहरीर में बताया कि मण्डी रोड स्थित न
झाँसी : ़िजला कृषि अधिकारी डॉ. बीआर मौर्य ने नवाबाद पुलिस को दी तहरीर में बताया कि मण्डी रोड स्थित निर्धारित स्थान पर खाद विक्रेता खाद न बेचकर किसान मण्डी के सामने अपनी दुकान से बेच रहा था, जबकि डीएपी उवर्रक निबन्धन प्रमाण पत्र में अंकित स्थान दूसरा था। छापे के दौरान विक्रेता रविन्द्र गुप्ता निवासी नझाई बा़जार को सड़क पर खड़े ट्रक में लदी खाद की बोरियां बेचते पकड़ा गया। टीम ने यहाँ से खाद की 400 बोरियाँ बरामद की। पुलिस ने व्यापारी के विरुद्ध धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मुकदमा द़र्ज कर उसे हिरासत में ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट पहुँची झाँसी पुलिस
0 हाइकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों लगाया था जुर्माना
0 प्रेमनगर क्षेत्र के एक मामले में हाइकोर्ट ने 7 माह पहले दिए थे आदेश
झाँसी : प्रेमनगर थाना में बीते वर्ष द़र्ज करायी गयी एक एफआइआर में लगा एफआर और बिना वादी मंजूरी के बाद भी मु़कदमे की विवेचना स्थानान्तरण करने के पूर्व में रहे एसएसपी के आदेशों को चैलेंज करते हुए मुकदमा वादी ने हाइकोर्ट में रिट दायर करते हुये पुलिस अफसरों के आदेशों को चैलेंज किया था। इसकी सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने एसएसपी व डीआइजी पर 50-50 ह़जार रुपए का जुर्माना लगाया था। इस पर अब झाँसी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
बताते चलें कि प्रेमनगर के पुलिया नम्बर 9 निवासी प्रकाश अहिरवार ने बिपिन बिहारी कॉलिज में तैनात प्रोफेसर डॉ. दिनेश गौतम के विरुद्ध मारपीट कर अवैध रुपयों की वसूली करने का आरोप लगाया था। प्रेमनगर पुलिस ने दिनेश गौतम के विरुद्ध मामला द़र्ज कर विवेचना जारी कर दी थी। इस प्रकरण में दूसरे पक्ष ने अपने आपको निर्दोष बताते हुए न्याय की गुहार लगायी, जिस पर तत्कालीन डीआइजी ने पूरे प्रकरण की विवेचना ़िजला ललितपुर से कराने के आदेश दे दिए। विवेचना उपरान्त मामला संदिग्ध पाया गया और डीआइजी विजय गर्ग ने इस मामले को ललितपुर से स्थानान्तरित कर झाँसी में तैनात रहे एएसपी राजेश एस. से जाँच करायी। एएसपी की जाँच में मामला झूठा पाया गया। इसके बाद तत्कालीन एसएसपी श्रीपर्णा गांगुली व डीआइजी दीपक रतन ने पूरे प्रकरण की जाँच तत्कालीन क्षेत्राधिकारी (अपराध) अविनाश कुमार गौतम से करायी । मामला 4-4 बार विवेचना होने के बाद भी झूठा पाया जाने पर उसमें एफआर लगा दी गयी, जिसे वादी ने नामंजूर किया और हाइकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की संख्या 10 के जस्टिस अरुण टण्डन ने वादी द्वारा याचिका में लगाये गये आरोपों पर सुनवाई करते हुये विवेचना को बार-बार बदलने पर डीआइजी व एसएसपी पर जुर्माना लगाया था, साथ ही इस सुनवाई के साथ दोनों को जुर्माना अदा करने के लिए 90 दिन की मोहलत दी थी। हाइकोर्ट के आदेश को झाँसी पुलिस ने चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवा़जा खटखटाया है।