बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी संबंधी अध्यादेश का स्वागत
जागरण संवाददाता, जौनपुर : मासूमों से ज्यादती के बढ़ते मामलों से निबटने के लिए सरकार ने क
जागरण संवाददाता, जौनपुर : मासूमों से ज्यादती के बढ़ते मामलों से निबटने के लिए सरकार ने कड़ा फैसला किया है। अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान किया जा रहा है। इसके लिए शनिवार को मंत्रिमंडल ने बाल यौन अपराध संरक्षण कानून पॉक्सो में संशोधन संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब इसे राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस बाबत दैनिक जागरण ने रविवार को महिलाओं से बातचीत कर उनका मन टटोला तो उन्होंने फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि काफी पहले ही यह तय हो जाना चाहिए था कि बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा होनी चाहिए थी। पेश है लोगों के विचार :-
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केंद्र सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में पास्को एक्ट में संशोधन कर जो प्रस्ताव पारित किया गया वह बहुत ही स्वागत योग्य है। मैं इसके लिए अपनी सरकार को बधाई भी देती हूं। इस कानून के लागू हो जाने से दुराचारियों में भय व्याप्त होगा और ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी। न्याय के लिए भटक रहे पीड़ितों के लिए यह कानून उन्हें जल्द न्याय दिलाएगा। समाज में बच्चियां एवं महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकेंगी।
डा.लीना तिवारी-विधायक मड़ियाहूं
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कानून कड़ा होने से यौन अपराध करने वाले अपराधियों में डर पैदा होगा। लचीला कानून होने से समाज के अपराधियों में डर नहीं है। अपराधी बेखौफ होकर आए दिन यौन अपराध कर रहे हैं। निश्चित ही सरकार का यह कदम बेहद सराहनीय व प्रशंसा योग्य है। फांसी की सजा का प्रावधान होने से अपराधियों के हौसले पस्त हो जाएंगे। देर से सही, यह सरकार का अच्छा प्रयास है।
सुषमा पटेल-विधायक-मुंगराबादशाहपुर
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बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी संबंधी प्रावधान अत्यंत आवश्यक है व फैसला स्वागत योग्य कदम है। कठोर सजा पर आरोपी के मन में भय पैदा होगा और अपराध पर रोक लगेगी। अवयस्क के मामले में मात्र तीन वर्ष तक सजा का प्रावधान है। जुवेनाइल एक्ट में भी संशोधन करना आवश्यक है, जो यह अपराध करने में सक्षम हो चाहे वयस्क हो या अवयस्क दोनो को फांसी की ही सजा हो।
शालिनी मौर्य एडवोकेट-सदस्य कार्यकारिणी-दीवानी न्यायालय
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बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा संबंधी अध्यादेश काफी पहले ही आ जाना चाहिए था। सरकार का यह कदम सर्वथा उचित है। बच्चियों से दुष्कर्म करना एक अत्यंत घृणित व दूषित मानसिकता का परिचायक है। फांसी की सजा होने पर इस तरह की मानसिकता रखने वाले अन्य व्यक्तियों में भय पैदा होगा और अपराध पर रोक लगेगी।
साधना ¨सह एडवोकेट-उपमंत्री-दीवानी न्यायालय
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कोर्ट में अधिकांश दुष्कर्म के मामलों में वादी पक्ष घटना से मुकर जाता है और आरोपी छूट जाते हैं। यह कानून का दुरुपयोग है। देर से ही सही सरकार की तरफ से सही फैसला लिया गया है। यह स्वागत करने योग्य है। इसके साथ ही लोगों को अपनी मानसिकता में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है।
डा.शिखा शुक्ला-चिकित्सक-स्त्री रोग विशेषज्ञ
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पॉक्सो में संशोधन कर फांसी की सजा देने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। इस कानून को जल्द अमल में लाया जाए, जिससे गंदी मानसिकता वाले लोगों पर ऐसा अपराध करने में भय व्याप्त हो सके। बच्चों से दुष्कर्म एक सामाजिक समस्या भी है जिसे मानसिक स्थिति में सुधार लाकर भी रोका जा सकता है।
डा.माया ¨सह-असिस्टेंट प्रोफेसर-टीडी कालेज
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सरकार ने जो भी फैसला लिया है वह सही है। इसमें विकृत मानसिकता के लोगों में भय व्याप्त होगा। मासूम बच्चों से दुष्कर्म करने वालों को ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट में जल्द सजा देनी चाहिए।
डा.मधु शारदा-वरिष्ठ चिकित्सक
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मासूम बच्चों से दुष्कर्म करने वालों को सजा देने का प्रावधान बनाया गया है, यह सरकार का सराहनीय कदम है। इसमें यह भी देखना होगा कि कानून का दुरुपयोग न होने पाए।
तस्लीम फात्मा-शिक्षिका
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सरकार का निर्णय उचित है। इस कानून के बनने से बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों में भय व्याप्त रहेगा। चाहे जिस उम्र के लोग दुष्कर्म करते हो उनको फांसी की सजा होनी चाहिए।
चारू शर्मा-समाज सेविका-जेसीआई चेतना अध्यक्ष
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कठुआ और सूरत में बच्चियों से द¨रदगी पर देश में गुस्से के बीच केंद्र सरकार का फैसला बहुत ही अच्छा है। अब इसको सिर्फ राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी बाकी है। इससे निश्चित तौर अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। समाज में इस तरह के अपराध खत्म हो सकते है।
डा.पूनम ¨सह-समाजसेविका-रोटरी क्लब सदस्य
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