गोशालाओं की आय बढ़ाने के लिए स्थापित हो रही वर्मी कंपोस्ट इकाई, गोबर से बनेगी खाद
उत्तर प्रदेश में गोशालाओं की आय बढ़ाने के लिए वर्मी कंपोस्ट इकाई की स्थापना की जा रही है। इस इकाई में गोबर से खाद बनाई जाएगी, जिसका उपयोग जैविक खेती में किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है। खाद बेचकर गोशालाएं अपनी आय बढ़ा सकेंगी।

गोशालाओं की आय बढ़ाने के लिए स्थापित हो रही वर्मी कंपोस्ट इकाई।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। गोशालाओं में संरक्षित किए गए गोवंश अब बेसहारा नहीं, बल्कि कमाऊ होंगे। गोशालाओं में पिट तैयार कर वर्मी कंपोस्ट (जैविक खाद) तैयार की जा रही है। किसानों से चारा लेकर बदले में कंपोस्ट खाद दी जाएगी। बची खाद की बिक्री कर आय की जाएगी।
खंड विकास अधिकारी की देखरेख में 20 गोशालाओं में पिट तैयार कर केचुआ छोड़कर वर्मी कंपोस्ट तैयार की जा रही है। वहीं, अधिकांश गोशालाओं में निर्माण चल रहा है। जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र की पहल पर नई व्यवस्था से गोशालाओं के गोबर का प्रबंधन होगा।
मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक जैविक खाद के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। किसानों द्वारा पशुपालन से मुंह मोड़ लेने के कारण गोबर की खाद नहीं मिल पाती। रासायनिक खाद का मूल्य अधिक होने के साथ ही खेत में डालने पर यह मिट्टी के पोषक तत्वों को भी खत्म कर रही है।
इसी परेशानी को दूर करने के लिए सरकार की ओर से वर्मी कंपोस्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को इसके लाभ से अवगत कराया जा रहा है।
गोष्ठियों में बताया जा रहा है कि किसान जिस रासायनिक खाद को इस्तेमाल कर रहे हैं। वह मिट्टी को खराब कर रही है। मिट्टी में मुख्यत: नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश तत्व होते हैं, जिससे मिट्टी में उर्वरक क्षमता बनी रहती है। रासायनिक खाद इन्हें नष्ट कर देती है, जबकि वर्मी कंपोस्ट इसकी मात्रा को बढ़ाने का काम करती है। किसानों को वर्मी कंपोस्ट के बारे में लगातार जानकारी दी जा रही है।
केयर टेकरों को जीवामृत बनाने का दिया जाएगा प्रशिक्षण
जौनपुर में गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट के साथ ही जीवामृत बनाने की भी तैयारी है। इसके लिए गोशालाओं के केयर टेकरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। बीते 30 अक्टूबर को बृहद गोशाला सरौनी का निरीक्षण करने आए गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने जीवामृत बनाने का निर्देश दिया।
बताया कि इसे बनाने की प्रक्रिया भी सरल है। मृदा की सेहत सुधाकर जैविक खेती को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है। गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट व जीवामृत बनने से जिले में पर्याप्त उपलब्धता हो जाएगी।
खेती में बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए गोशालाओं को तैयार किया जा रहा है। जिलाधिकारी के निर्देश पर हर गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट तैयार की जाएगी। जिले के 20 गोशालाओं में इसकी शुरुआत कर दी गई है। अन्य में तैयारी चल रही है। इस पहल से गोशालाओं की आय भी बढ़ेगी। -डॉ. ओपी श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।
जनपद में गोशालाओं की स्थित
- जनपद में कुल गोशालाएं- 106
- बृहद गोशाला- 07
- नगर निकाय व जिला पंचायत के संचालित गोशाला- 03
- गोसेवा आयोग में पंजीकृत गोशाला- 03
- गोशालाओं में संरक्षित गोवंश- 14280

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