महाकुंभ में स्नान करने की तैयारी कर रहे ये मुस्लिम, सरनेम भी बदला; अब बन गए दुबे व शुक्ला
जौनपुर के केराकत क्षेत्र के डेहरी गांव के तीन दर्जन मुस्लिम युवक जो अपने नाम के आगे तिवारी शुक्ला और दुबे लिखते हैं महाकुंभ 2025 में संगम स्नान के लिए उत्साहित हैं। विशाल भारत संस्थान से निमंत्रण मिलने पर वे प्रयागराज जाएंगे। उनका मानना है कि यह कदम भारतीय संस्कृति से जुड़ने और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देने का प्रतीक है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। अपने पुरखों को हिंदू ब्राह्मण बताते हुए नाम के आगे तिवारी, शुक्ला व दुबे लिखने वाले केराकत क्षेत्र के डेहरी गांव के मुस्लिम समुदाय के तीन दर्जन युवक महाकुंभ में प्रयागराज जाने और वहां संगम स्नान के लिए तैयार हैं। इनका कहना है कि महाकुंभ में स्नान के लिए उन्हें विशाल भारत संस्थान से आमंत्रण आना है। आमंत्रण आते ही वे प्रयागराज के लिए रवाना हो जाएंगे।
मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने सरनेम में परिवर्तन से जहां यह गांव चर्चा में आ गया है। वहीं इस बदलाव के बाद अब उन्होंने महाकुंभ में स्नान के लिए अपनी इच्छा जताई है। उनका कहना है कि यदि उन्हें महाकुंभ में स्नान का निमंत्रण मिलता है तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी।
नौशाद अहमद दूबे
गांव के नौशाद अहमद दुबे ने बताया कि उदासीन अखाड़ा ने कहा है कि वह डेहरी के कुछ विशेष लोगों और विशाल भारत संस्थान से जुड़े सदस्यों को महाकुंभ में स्नान के लिए निमंत्रण भेजेंगे। हम लोग विशाल भारत संस्थान से जुड़कर मानवता के हित में कार्य कर रहे हैं।
यह कदम समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने वाला होगा। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने से न केवल समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा, बल्कि यह सभी के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा। विशाल भारत संस्थान के कार्यों को लेकर इनका मानना है कि यह संस्था लोगों को जोड़ने व समाज में एकता का संदेश देने का प्रयास कर रहा है।
इनका कहना...
कुंभ में स्नान करना तो भारतीय संस्कृति का पर्याय है। उदासीन अखाड़ा वालों ने कहा है कि जो भी सनातनी संस्कृति को मानने वाले हैं, उनको बुलाकर सम्मानित करेंगे। जब वहां जाएंगे तो कुंभ स्नान भी होगा। डेहरी गांव के नौशाद अहमद दुबे, अब्दुला दुबे के अलावा नाजनीन अंसारी, डा. नजमा परवीन सहित दर्जनों लोग महाकुंभ में जाएंगे। -राजीव श्रीगुरुजी, विशाल भारत संस्थान।
महाकुंभ में प्रयागराज जाना तो सम्मान का कार्य है। कुंभ तो भारतीय संस्कृति, सभ्यता की पहचान है। निमंत्रण आया तो जरूर जाऊंगा। -नौशाद अहमद दुबे, डेहरी गांव।
मैं तो विशाल भारत संस्थान का एक कार्यकर्ता हूं। जैसा गुरुजी और बड़े लोगों का आदेश होगा, मैं अवश्य करूंगा। महाकुंभ में भी जाऊंगा। -अब्दुला दुबे, डेहरी गांव।
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