रखवालों के साथ ही निगरानी करने वाले लोग भी हुए लापरवाह, गोशाला में लंपी वायरस की चपेट में आ रहे गोवंश
जौनपुर में गोशालाओं की स्थिति चिंताजनक है। सरकार द्वारा पर्याप्त बजट और देखभाल के निर्देशों के बावजूद कई गोवंश उचित देखभाल के अभाव में मर रहे हैं। रामपुर की गोशाला में चार गोवंशों की मौत ने निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई गोशालाओं में क्षमता से अधिक पशु रखे गए हैं जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। बेसहारा पशुओं को संरक्षित कर उनकी उचित देखभाल सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए चारा का बजट प्रति माह 900 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति गोवंश किया गया है। उपचार, देखभाल का भी निर्देश है। समय-समय पर इसकी समीक्षा भी जा रही है। इसके बाद भी कई गो आश्रय स्थलों पर गोवंश तिल-तिल कर मर रहे हैं।
जिलाधिकारी की पहल पर नेपियर घास की खेती व साइलेज की व्यवस्था के बाद भी अधिकांश गोवंशों की सेहत नहीं सुधर रही है। रामपुर की गोशाला में चार गोवंशों की मौत ने निगरानी की जिम्मेदारी निभाने वालों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
क्षमता से दो गुना रखे गए हैं गोवंश
बदलापुर क्षेत्र के शाहपुर गांव स्थित गोशाला बदहाल स्थिति में है। यहां 122 गोवंशों के सापेक्ष 249 रखे गये हैं। इनमें तीन लंपी बीमारी की चपेट में हैं। जिन्हें अलग रखा गया है। इसके अलावा वैक्सीनेशन सभी गोवंशों में कर दिया गया है। इसके अलावा चारा-भूसा, दाना की व्यवस्था है। फिर भी आये दिन गोवंश काल के गाल में समा रहे हैं।
नहीं दिया जाता दाना व हरा चारा
खुटहन क्षेत्र में संचालित तीन गोशालाओं पट्टी नरेंद्रपुर, डिहिया और मुजुक्किरपुर में क्षमता से अधिक बेसहारा पशुओं को आश्रय दिया गया है। कमोवेश तीनों जगह का हाल यह है कि सूखा भूसा चबाकर बेजुबान किसी प्रकार दिन काट रहे हैं। उनकी नादों में चूनी- चोकर कुछ दिखाई नहीं दिखता।
हां कुछ बोरी दाना यहां दिखाने के लिए जरूर रखा रहता है। निरीक्षण के समय यहां तैनात किए गए गो सेवक वही बोरी दिखा देते हैं। हालत यह है कि अधिकारियों के निरीक्षण के समय पशुशालाओं की व्यवस्था को चाक चौबंद कर दी जाती है।
भूसा के साथ हरा चारा, दाना भूसी और गुण तक खिलाने के लिए मंगा लिए जाते हैं। साहब के जाते ही फिर वही पुराना ढर्रा शुरू हो जाता है।
लड़ाई में टूट गया था दो गोवंशों का पैर
मछलीशहर: नगर से सटे सराय यूसुफ गोशाला में वर्तमान में 128 गोवंश रखे गए है। पिछले सप्ताह गोवंश की आपसी लड़ाई में दो गोवंश का पैर टूट गया था। घायल गोवंशों का उपचार किया गया।
क्षमता से अधिक हैं गोवंश
महराजगंज: सीड गांव की गोशाला पंचायत भवन में चलाई जा रही है जहां 30 पशु रखने की क्षमता है किंतु वहां 35 रखे गए है । कड़ेरपुर में सौ पशुओं की क्षमता है वहां पर 80 पशुओं को रखा गया है। जानकारी पशु डाक्टर महराजगंज डा सचिन सिंह ने दी।
गोशालाओं में पशुओं की नियमित जांच व उपचार किया जाता है। गोवंशों के लिए साइलेज आपूर्ति का टेंडर हुआ है। जल्द ही सभी गोशालाओं में साइलेज उपलब्ध हो जाएगा। जनपद में दो बृहद गोशालाएं निर्माणाधीन हैं। तैयार होने के बाद क्षमता से अधिक पशुओं की समस्या भी खत्म हो जाएगी। -डॉक्टर ओपी श्रीवास्तव, सीवीओ।
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