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    नदियों के किनारे 10 ब्लॉकों में 2750 हेक्टेयर में होगी प्राकृतिक खेती, किसानों को इस तरह से होगा फायदा

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 03:45 PM (IST)

    जौनपुर में सरकार रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से मिट्टी को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। नदियों के किनारे दस ब्लॉकों में 2750 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जाएगी। किसानों को प्रशिक्षित किया गया है और उन्हें घनामृत जीवामृत व बीजामृत बनाने की विधि सिखाई गई है। किसानों को सहायता राशि भी दी जाएगी ताकि वे इस दिशा में आगे बढ़ सकें।

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    नदियों के किनारे के दस ब्लाकों में 2750 हेक्टेयर में होगी प्राकृतिक खेती।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशक दवाओं के दुष्प्रभाव से बीमार हो रही मिट्टी को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित व प्रोत्साहित किया जा रहा है।

    नदियों के किनारे के दस ब्लाकों में 55 क्लस्टर बनाकर 2750 हेक्टेयर में रबी की प्राकृतिक खेती की जाएगी। इसके लिए 6875 किसानों का चयन कर घनामृत, जीवामृत व बीजामृत बनाने की विधि, उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया है। इतना ही नहीं किसानों को दो हजार रुपये ड्रम, मग्गा आदि के लिए सहायता राशि दी जाएगी।

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    राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत दस ब्लाकों में प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती से खेत की मिट्टी को बीमार होने से बचाने के साथ ही मानव को स्वस्थ रखना है। रसायन मुक्त उपज स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इतना ही नहीं पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा।

    हर क्लस्टर में नियुक्त हैं दो-दो कृषि सखी

    प्राकृतिक खेती के लिए बनाए गए 55 क्लस्टर में 110 कृषि सखियां नियुक्त की गई हैं। इन कृषि सखियों को प्रशिक्षण देकर माडल किसान बनाया गया है। यह खुद प्राकृतिक खेती करेंगी और आस-पास के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगी।

    डिप्टी पीडी आत्मा रमेश चंद्र ने बताया कि प्रत्येक क्लस्टर के लिए कृषि विभाग द्वारा एक-एक क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि फसलों को कीटों व रोगों से बचाव के लिए निमास्त्र, आग्नेयास्त्र, मठरास्त्र आदि का प्रयोग किया जाएगा।

    इन ब्लाकों का किया गया है चयन

    प्राकृतिक खेती के लिए बदलापुर, खुटहन, बक्शा, करंजाकला, धर्मापुर, सिरकोनी, मुफ्तीगंज, जलालपुर, केराकत व डोभी ब्लाक को लिया गया है।

    इससे बनेगा जीवामृत: गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़, चने का बेसन, बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी, पानी।

    इससे बनेगा बीजामृत: गाय का गोबर, गोमूत्र, लाइम, पानी, गेहूं का दाना, पेड़ के नीचे की मिट्टी।

    इससे बनेगा घनामृत: गोमूत्र, गाय का गोबर, गुड़ व पानी।

    नीमास्त्र बनाने की सामग्री: गोमूत्र, नीम की पत्ती, पानी

    ब्रहास्त्र बनाने की सामग्री: गोमूत्र, नीम की पत्तियां, कस्टर्ड के पत्ते, पपीते के पत्ते, अनार के पत्ते, अमरूद के पत्ते, पानी

    अग्नेयात्र बनाने की सामग्री: गोमूत्र, इपोमोआ के पत्ते, मिर्च, लहसुन, नीम के पत्ते, पानी