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    वृक्षों को चबूतरों की बेड़ियों से किया जा रहा कैद

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 23 May 2018 10:47 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, जौनपुर: नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों के वृक्षों को चबूतरे की बेड़ियों स

    वृक्षों को चबूतरों की बेड़ियों से किया जा रहा कैद

    जागरण संवाददाता, जौनपुर: नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों के वृक्षों को चबूतरे की बेड़ियों से जकड़ा दिया गया है। इससे जहां पेड़ों का विकास नहीं हो पा रहा है वहीं चबूतरे पेड़ों की जड़ों तक पानी नहीं पहुंचने दे रहे हैं। इस वजह से पेड़ सूख रहे हैं, जिसका सीधा असर पर्यावरण व जल स्तर पर पड़ रहा है। नगर पालिका परिषद समेत विभन्न थानों में कैद किए गए वृक्षों पर किसी का दिल नहीं पसीज रहा है।

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    पर्यावरण के लिहाज से भी इसे उचित नहीं माना जाता। नगर पालिका परिषद में विशाल बरगद के वृक्ष को चबूतरे की बेड़ियों से जकड़ दिया गया है। बदलापुर थाने में वर्षों पुराने पीपल के वृक्ष के किनारे पर चबूतरा बना दिया गया है, जिससे वृक्ष बढ़ नहीं पा रहा है। बदलापुर समेत तमाम थानों सहित चौकियों का यही हाल है। सरायख्खाजा के राजेपुर गांव मे शारदा सहायक- 36 नहर के किनारे विशाल पाकड़ के पेड़ की जड़ पर 3 फीट तक पाटकर सीमेंट का चबूतरा बनाया गया है। केराकत क्षेत्र में रेलवे स्टेशन व मंदिर के आसपास पेड़ों के किनारे चबूतरे बना दिए गए हैं। हालांकि कुछ पेड़ के बीच में थाले बनाए गए हैं। बदलापुर क्षेत्र के तमाम गांवों में पुराने पेड़ों नीम, बरगद, पीपल, आम आदि छायादार वृक्षों के चारों तरफ पक्का चबूतरा बना दिए जाने से जड़ों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यह पेड़ों के विकास में भी बाधक हैं। धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थलों समेत घरों के आस-पास भी लोग पेड़ों के किनारे चबूतरा बनवा रहे हैं। मछलीशहर व शाहगंज समेत अन्य तहसील व गांवों का भी यही हाल है। मछलीशहर में जहां तहसील परिसर में नीम के पेड़ को चबूतरा बनाकर ढक दिया गया है, वहीं शाहगंज थाना परिसर में पीपल के वृक्ष को भी चबूतरे से जकड़ दिया गया है।

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    बीते दस वर्षों में आया बदलाव

    पेड़ों के किनारे चबूतरा बनवाने का चलन बीते दस वर्षों में जोर पकड़ा है। पेड़ों को आराध्य मानने वाले लोग इसके पहले ऐसा करने से परहेज करते थे, जो अब नहीं दिखता। गांवों में पुराने नीम के पेड़ों को अधिकांश लोगों ने घेर रखा है। हालांकि ऐसा करने वाले अधिकांश लोगों को इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं पता, जिसे जागरूकता लाकर कम किया जा सकता है।

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    पेड़ों के आस-पास बने चबूतरे में थाला नहीं होने पर वह सूख जाएंगे। ऐसे में बारिश के पानी को वृक्ष के जड़ तक पहुंचने के लिए बीच में स्थान होना अति आवश्यक है। पर्यावरण व जल संरक्षण के लिहाज से आम लोगों से अपील है कि वह वृक्षों के विकास के लिए बाधक बन रहे चबूतरों को तोड़ दें। इसके लिए प्रशासन से भी निवेदन किया जाएगा।

    एपी पाठक, डीएफओ।