श्रावण मास: रुद्राभिषेक से ग्रह शांति व हवन से विशेष लाभ
श्रावण मास में शिव उपासना ग्रहों की शांति को आवश्यक जौनपुर: श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव के दर्
श्रावण मास में शिव उपासना ग्रहों की शांति को आवश्यक
जौनपुर: श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव के दर्शन पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ¨कतु इस माह में रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा किए गए रुद्राभिषेक से अरिष्ट ग्रहों से जातक को मुक्ति मिलती है। पूजनोपरांत किए गए हवन से विशेष लाभ मिलता है।
श्रावण मास में भक्ति भाव से रुद्राभिषेक कराने से जातक का ग्रह जनित कष्ट दूर होता है। अरिष्ट ग्रहों की पीड़ा जैसे शनि, राहु, मंगल आदि की दशा अंतरदशा, शनि की साढ़े साती या कुंडली की मारक स्थान की अरिष्ट दशा से शांति मिलती है। कर्म कांड के विद्वान अशोक उपाध्याय ने बताया कि रुद्राभिषेक के एक पाठ से बाल ग्रहों की शांति, तीन पाठ से उपद्रव की शांति, पांच से ग्रह शांति तथा सात से महा भय की शांति, नौ से सर्वविध शांति मिलती है। इसी प्रकार हवन करने से विभिन्न कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। विभिन्न वस्तुओं से किए गए हवन का फल अलग-अलग मिलता है। घी-दूध मिश्रित दूर्वा, मधु या केवल दूध से हवन करने पर आयु में वृद्धि होती है। तिल की आहुति देने पर शांति मिलती है। घी, दूध या कमल के फूल से आहुति देने पर समृद्धि की प्राप्ति तथा दरिद्रता का नाश होता है। इसी प्रकार विल्व पत्रों द्वारा किए गए हवन से शत्रु दमन, वशीकरण, आकर्षण तथा लक्ष्मी आगम होता है। शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा किया गया रुद्राभिषेक भगवान शिव को अधिक प्रिय होने के कारण अधिक फलदायी है।
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