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    यूपी के इस जिले में ग्राम पंचायत की राशि में घोटाला, अब प्रधान, सचिव सहित पांच लोगों से रिकवरी

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 04:42 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के एक जिले में ग्राम पंचायत निधि में अनियमितता का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रधान, सचिव समेत पांच लोगों से रिकवरी की जाएगी। जांच के बाद यह फैसला लिया गया है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की उम्मीद है।

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    जागरण संवाददाता, उरई। महेवा ब्लाक के ग्राम पंचायत पाल में ग्राम प्रधान व तत्कालीन सचिवों, तकनीकी सहायकों ने हैंडपंप रीबोर, मनरेगा व सड़क का समतलीकरण न कराकर भुगतान निकाल लिया था। इसकी ग्रामीणों ने जून 2024 में जिलाधिकारी से शिकायत की थी। जिसके बाद जांच के लिए महाप्रबंधक उद्योग केंद्र, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण तृतीय, एसडीएम कालपी को जिलाधिकारी ने जांच सौंपी थी। जांच में अनियमितताएं पाई गई थीं। ग्राम प्रधान, दो सचिवों व दो तकनीकी सहायकों से 12 लाख 44 हजार 245 रुपये की रिकवरी के आदेश जिलाधिकारी के निर्देश पर दिए हैं। एक सप्ताह के अंदर धनराशि जमा न करने पर संबंधित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इसके साथ ही ग्राम पंचायत के कार्यों को संपादित करने के लिए फिलहाल तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

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    ग्राम पंचायत पाल के ग्रामीणों तुलसीराम, करन सिंह, राम प्रकाश ने 13 जून, 19 जून, 26 जून 2024 में जिलाधिकारी से शपथ पत्र लगाकर शिकायत की थी कि ग्राम पंचायत में मनरेगा, केंद्रीय वित्त, राज्य वित्त, ग्राम निधि के तहत कराए गए कार्यों में वित्तीय अनियमितता की गई है। इस पर जिलाधिकारी ने जांच के लिए महाप्रबंधक उद्योग केंद्र, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण तृतीय, एसडीएम कालपी की टीम का गठन किया था। तीन सदस्यीय समिति ने मौके पर जाकर जांच की तो वित्तीय अनियमितता उजागर हुई थी।

     

    टीम ने पाया था कि केंद्रीय व राज्य वित्त से हैंडपंप रीबोर व मरम्मत को लेकर ही वर्ष 2023 से 2025 तक दो लाख 31 हजार 523 रुपये धनराशि से कार्य होना दर्शाया गया। इसके अलावा इंटरलाकिंग कार्य, टाइल्स लगाने का कार्य, मनरेगा कार्य में भी धांधली स्पष्ट होकर सामने आई थी। गांव में शीतला माता मंदिर के पास कराए गए समतलीकरण कार्य का फर्जी भुगतान निकाला गया था। जिसके बाद सभी से स्पष्टीकरण मांगा गया था लेकिन किसी का भी उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया।

     

    जांच टीम ने वित्तीय अनियमितता में प्रधान पान सिंह, तत्कालीन सचिव राहुल पहारिया, तत्कालीन सचिव अमर सिंह, तत्कालीन तकनीकी सहायक नंदकिशोर नायक, तत्कालीन तकनीकी सहायक जगदीश प्रसाद गोस्वामी को दोषी माना था। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रस्तुत कर दी थी। जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी राम अयोध्या प्रसाद को इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

     


    इतनी-इतनी धनराशि की होगी रिकवरी

    जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि ग्राम प्रधान से पांच लाख 6626, तत्कालीन सचिव राहुल पहारिया से तीन लाख 34 हजार 965 रुपये, तत्कालीन सचिव अमर सिंह से एक लाख 71 हजार 665 रुपये, तत्कालीन तकनीकी सहायक नंदकिशोर नायक से एक लाख 47 हजार 549 रुपये, तत्कालीन तकनीकी सहायक जगदीश प्रसाद गोस्वामी से 83 हजार 440 रुपये की रिकवरी की जाएगी। रिकवरी की जाने वाली कुल धनराशि 12 लाख 44 हजार 245 रुपये है। एक सप्ताह में धनराशि जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।

     


    तीन सदस्यीय टीम ग्राम पंचायतों के कार्यों को करेगी संपादित

    उन्होंने बताया कि फिलहाल ग्राम पंचायत के कार्यों को संपादित करने के लिए ग्राम पंचायत सदस्य मानसिंह पुत्र सोबरन सिंह, ग्राम पंचायत सदस्य गनेशी देवी पत्नी रवींद्र, तुलसीराम पुत्र परमाई ग्राम पंचायत सदस्य की तीन सदस्यीय समिति को जिम्मेदारी दी गई है। प्रकरण की अंतिम जांच परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण करेंगे। धनराशि जमा न करने पर सभी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।