फिर से जीवित हुई नून नदी, जगह-जगह कब्जों से खत्म हो गया था 82 KM लंबी नदी का अस्तित्व; इन गांवों के किसानों को होगा लाभ
जालौन जिले में नून नदी को पुनर्जीवित किया गया जो कब्जों और सूखे के कारण विलुप्त होने के कगार पर थी। जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों के प्रयासों से 82 किमी लंबी इस नदी को नया जीवन मिला है। मनरेगा मजदूरों और सामाजिक संगठनों ने नदी की खुदाई में मदद की। अब इस नदी से किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और बाढ़ से राहत मिलेगी।

अजय दीक्षित, उरई। नून नदी अब फिर कल-कल बह रही है। हजारों किसानों के लिए सिंचाई का साधन रही नदी का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। वर्ष 2014 में भीषण बाढ़ आने से 82 किमी लंबी नदी में कटान से आसपास के हालात खराब हो गए।
पानी सूखा तो इसका स्वरूप बिगड़ता चला गया। ऐसे में जिला प्रशासन ने प्रयास किए तो स्थानीय लोग भी मदद के लिए तैयार हो गए। इससे नदी को नया जीवन मिल गया।
पंच मित्रों (मन, मजदूर, मशीन, मनोयोग व मनोबल) के संकल्प ने वह कर दिखाया जिसकी आशा दूर-दूर तक नहीं थी।
नून नदी की खोदाई करते मजदूर, सामाजिक संगठनों के लोग और ग्रामीण जागरण आर्काइव
अब बारिश के मौसम में तीन ब्लाक क्षेत्रों कोंच, महेवा, डकोर के गांवों को बाढ़ से राहत मिलेगी जबकि 47 ग्राम पंचायतों की तटवर्ती 2,780 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। नदी में 27 जगह चेकडैम बनाए गए हैं, जो बाढ़ से बचाएंगे और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने में सहायक होंगे।
नून नदी का उद्गम महेवा ब्लाक के सतोह गांव से हुआ है। महेवा, कोंच, डकोर, कदौरा के 47 गांवों से होते हुए 82 किमी का सफर तय कर नदी शेखपुर गुढ़ा गांव के पास यमुना नदी में मिलती है। प्राकृतिक स्रोतों से आने वाला पानी सिंचाई व अन्य जरूरतों को पूरा करता था।
बारिश कम होने लगी तो जल स्रोत सूखने लगे। पानी न होने से जगह-जगह नदी के किनारों पर कब्जा हो गया। नदी का स्वरूप नाले जैसा हो गया। 2014 में आई बाढ़ से नदी अपने पुराने स्वरूप में लौट आई, लेकिन पानी सूखते ही फिर जगह-जगह कब्जे हो गए।
नदी के पुनर्जीवन के लिए छोटे-छोटे प्रयास होते रहे, लेकिन यह बहुत असरदार नहीं साबित हुए। 2023 में तत्कालीन डीएम चांदनी सिंह ने कार्ययोजना बनाई और स्थानीय लोगों व संगठनों की मदद से नदी को नया जीवन देने के प्रयास शुरू किए।
मनरेगा के मजदूर लगाए गए और नलकूपों की मदद से पानी भरा गया। इन प्रयासों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में सराहा।
वर्तमान डीएम राजेश कुमार पांडेय ने भी प्रयास शुरू किए तो 13 अप्रैल 2025 को जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने फावड़ा चला कर सतोह गांव से नून नदी के पुनरोद्धार का श्रीगणेश किया।
राजेश कुमार पांडेय, जिलाधिकारी जालौन।
इस काम में सामाजिक संगठनों के साथ स्थानीय नागरिकों, किसानों और ग्राम प्रधानों की मदद मिली। संबंधित ग्राम पंचायतों के मनरेगा मजदूरों को काम पर लगाया गया, जिससे इस काम के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था नहीं करनी पड़ी।
डेढ़ माह से अधिक समय तक दो हजार से अधिक मजदूर काम में लगे रहे। जो लोग नदी की जमीन पर खेती करने लगे थे, उन्होंने स्वत: ही जमीन छोड़ दी। मेहनत रंग लाई और नदी में अब फिर पानी दिखने लगा है। बारिश के मौसम में यह अपने पुराने स्वरूप में दिखने लगेगी।
नून नदी को संवारने में जन भागीदारी के साथ यूनोप्स स्वयं सेवी संगठन और परमार्थ समाजसेवी संस्था की ओर से सहयोग किया गया। यूनोप्स संगठन के जिला सलाहकार देवेंद्र गांधी ने बताया कि जनसहयोग से नदी संवर गई।
परमार्थ समाजसेवी संस्था के डायरेक्टर संजय सिंह कहते हैं कि आमजन की भागीदारी व प्रशासन के सहयोग से विलुप्त होती नून नदी को नवजीवन मिला है। इनके संगठन की ओर से लगातार सर्वे किया जाता रहा और श्रमदान किया गया।
इन गांवों के किसानों को सीधा लाभ
नून नदी में पानी आने से कोंच ब्लाक के गांव नरी, सुनाया, चंर्दूरा, सतोह, बिरगवां, अमीटा, भुआ, कैथी, डिरावटी, बरसेसी, चांदनी व डकोर ब्लाक के गांव बरहा, व्यासपुरा, इटवां, सहजादपुरा, मगरायां, कुकरगांव, पिया निरंजनपुर, अमगुंवा, चकजगदेवपुर, बनफरा, जलालपुर चिड़गुआं, रगौली के साथ ही कदौरा ब्लाक के गांव उकासा, सधारा, भदरेखी, महेवा ब्लाक के गांव एदलपुर, परा, कुराहना, टिकावली, गढ़गुआं, पिपरौंधा, गोराकला, महेवा, कुटरा मुस्तकिल, मंगरौल, पड़री, शेखपुर गुढ़ा के किसानों को लाभ होगा।
जल संरक्षण व जनभागीदारी अभियान के तहत नून नदी के पुनर्जीवन कार्य ने जिले में नई ऊर्जा का संचार किया। अब नदी का पुनरोद्धार हो चुका है।
-राजेश कुमार पांडेय, डीएम जालौन।
पहले नून नदी उथली थी, बरसात के दौरान खेतों में जलभराव हो जाता था, अब पानी नदी में आ सकेगा, पंचायत के जाब कार्ड धारकों से काम कराया गया, इससे उन्हें रोजगार भी मिला।
हरि किशोर पटेल, प्रधान, ग्राम पंचायत सतोह।
पहले नून नदी सूखी होने से उसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा था, अब खोदाई होने से पानी आ चुका है, ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और अब हालात बदल रहे हैं।
कमलेश कुमार कुशवाहा, प्रधान, अमीटा ग्राम पंचायत।
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