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    देवोत्थान पूजन के साथ प्रारंभ हुए मांगलिक कार्य, उरई के मंदिरों में आस्था का अद्भुत नजारा

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 02:40 PM (IST)

    देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर उरई शहर के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हुई। मंदिरों में भजन-कीर्तन, दीप प्रज्वलन और श्रद्धालुओं की आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। शहर में धार्मिक उत्साह और भक्ति का वातावरण छा गया।

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    देव उठनी एकादशी के मौके पर छठी माता मंदिर में पूजन के दौरान परिक्रमा करतीं महिलाएं। जागरण

    संवाद सहयोगी, जागरण, जालौन। शनिवार को नगर व ग्रामीण क्षेत्र में देवोत्थान एकादशी (देव दीपावली) का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दिन गन्ने की पूजा व ठाकुरजी को आग के समीप बैठाकर तपाए जाने की भी परंपरा निभाई गई। मान्यता के अनुसार इस दिन से मांगलिक कार्यों का आयोजन शुरू हो जाता है। इस दिन जहां घरों में स्त्रियों ने तुलसी-शालिग्राम का ब्याह रचाया वहीं, छठी माता के मंदिर पर लगे मेले में नगर व ग्रामीण क्षेत्र की हजारों महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।

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    देवोत्थान एकादशी पर लोगों ने गन्ना की पूजा की। गन्ने का घर में आंगन के बीचोंबीच मंडप लगाकर उसके नीचे ठाकुरजी को बैठाकर उनकी पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान ठाकुरजी को आग से तपाए जाने का भी प्रावधान है। माना जाता है कि आज के दिन से ही सर्द ऋतु की हवाओं का चलना आरंभ हो जाता है। इस माह की एकादशी को ‘प्रबोधनी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। कई शास्त्रों के अनुसार ठाकुरजी अषाढ़, सावन, भाद्र व क्वांर मास में विश्राम के लिए जाते हैं। एकादशी को वे जाग जाते हैं और इसके साथ ही घरों में मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन महिलाएं तुलसी-शालिग्राम के विवाह का आयोजन करती हैं। इसी दिन चातुर्मास की समाप्ति होती हैं व कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना मंदिरों में की गई।


    छठी माता मंदिर में हुआ मेले का आयोजन

    एकादशी के अवसर पर नगर के छठी माता मंदिर पर मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान हजारों महिलाओं ने देवीजी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर प्रसाद चढ़ाया व घरों में होने वाले मांगलिक कार्य को सकुशल संपन्न होने की माता से कामना की। मंदिर में महिलाएं विशेष परिधानों में पहुंची व नृत्य कर माता को रिझाने का प्रयास किया। केसरिया व पीले वस्त्रों में पहुंची महिलाओं व बच्चियों की भीड़ ने उत्सव को आकर्षक बना दिया।

    घर घर में गूंजा उठो देव, उठो देव, गुड़ माड़े खाओ..

    देवोत्थान एकादशी पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। त्योहार के मद्देनजर गन्ना खूब बिका। चार महीने तक शयन के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु जाग गए हैं। घर के सभी सदस्यों ने विधि विधान से भगवान की पूजा की और बाद में धान डाल कर सभी पूजा करते समय बुंदेली परंपरानुसार भगवान से प्रार्थना की। कहा कि ‘उठो देव, उठो देव, गुड़ माड़े खाओ, कुंवारिन के व्याऔ कराओ, व्यावन के चलाये कराओ’। घरों के दरवाजों पर दीए भी जलाए गए और बच्चों ने पटाखे फोड़े। पर्व पर पूजा जाने वाला गन्ना भी खूब बिका। गांव देहात के तमाम गन्ना किसान ट्रैक्टरों और गाड़ियों में भर कर गन्ने शहर में बेचने के लिए लाए।