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    Lok Sabha Election 2024: हाथरस में सपा दिखाएगी पूरा ताव, इस बार खाता खोलने को है बेताब; स्थानीय दिग्गजों से है आस

    Updated: Sat, 23 Mar 2024 09:02 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव की दुंदभी बज चुकी है। तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। जिले में तीसरे चरण की सात मई को मतदान होना है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ विभिन्न दलों ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करना शुरू कर दी है। आंकड़े बताते हैं कि समाजवादी पार्टी को अब तक हुए लोकसभा चुनाव में एक भी बार सफलता नहीं मिल सकी है।

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    हाथरस में सपा दिखाएगी पूरा ताव, इस बार खाता खोलने को है बेताब

    योगेश शर्मा, हाथरस। लोकसभा चुनाव की दुंदभी बज चुकी है। तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। जिले में तीसरे चरण की सात मई को मतदान होना है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ विभिन्न दलों ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करना शुरू कर दी है। टिकट वितरण में सपा हाईकमान ने भले ही तत्परता दिखाई हो मगर प्रत्याशी की जीत को लेकर भी स्थानीय स्तर पर संगठन और स्थानीय दिग्गजों को गंभीरता दिखानी होगी।

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    हालांकि कई स्थानीय नेता प्रत्याशी को लड़ाने के लिए पूरे ताव में हैं। खाता खोलने की बेताबी भी दिख रही है। हैरानी की बात तो ये है कि सपा आज तक हाथरस सीट पर अपना खाता तक नहीं खोल पाई है। सवाल हो रहा है कि क्या सपा इस बार भाजपा से पूरे दमखम के साथ मुकाबला कर भी पाएगी। ये भविष्य के गर्त में है।

    कभी कांग्रेस ने लहराया था जीत का परचम

    आंकड़े बताते हैं कि समाजवादी पार्टी को अब तक हुए लोकसभा चुनाव में एक भी बार सफलता नहीं मिल सकी है। सफलता तो छोड़िए भाजपा का मुकाबला तक करने में पिछड़ गई। हर बार भाजपा से मुकाबले में बसपा ही रही। कांग्रेस शासन काल में चार बार कांग्रेस ने हाथरस से जीत का परचम लहराया था। एक बार जनता दल ने फतह हासिल की। जबकि रिकॉर्ड गवाह है कि जिले से सबसे अधिक अगर किसी दल का डंका रहा तो वह इकलौती भारतीय जनता पार्टी है। सपा को खाता खोलने की अब बेताबी है।

    1962 में गठित की गई लोकसभा सीट

    लोकसभा सीट 1962 में गठित की गई। तब से अब तक 15 चुनाव हो चुके हैं। मगर सपा को एक भी बार जीत नहीं मिली। ये स्थिति तब है जब यूपी में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और फिर बेटे अखिलेश यादव की सरकार रही। यूपी में सरकार में रहते ही हाथरस की सीट को सपा हाईकमान निकालने में कामयाब नहीं हो पाई। अब दावा किया जा रहा है बेरोजगारी, महंगाई के बारे में लोगों को बताएंगे ताकि भाजपा के बारे में लोगों सच बताया जा सके।

    1991 से भाजपा का दौर शुरू

    याद कीजिए वर्ष 1991 से भाजपा का दौर शुरू हुआ। भाजपा ने डा. लाल बहादुर रावल मैदान में उतरे और सांसद बने। तभी अयोध्या में रामलला हम आएंगे का नारा गूंज रहा था। तब लगातार भाजपा लोकसभा का चुनाव जीतती रही है। मगर क्या भाजपा की किलेबंदी को भेदने में सपा या बसपा सफल हो पाएंगे? इसका जवाब भी सात मई को होने वाले मतदान के बाद मिल जाएगा।

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